राफेल डील से जुड़ा विवाद एक बार फिर चर्चा में है. भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमानों की बिक्री में फ्रांस में न्यायिक जांच शुरू हो गई है.
राफेल डील से जुड़ा विवाद एक बार फिर चर्चा में है. भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमानों की बिक्री में फ्रांस में न्यायिक जांच शुरू हो गई है. फ्रांसीसी सरकार ने एक न्यायाधीश को जांच सौंपकर एक बड़ा कदम उठाया है जो सौदे में भ्रष्टाचार और पक्षपात के आरोपों की जांच करेगा. फ्रांस की खोजी वेबसाइट मीडियापार्ट ने यह रिपोर्ट देते हुए कहा है कि इस मामले में देश की बड़ी हस्तियों से पूछताछ की जा सकती है.
फ्रांस्वा ओलांद, जो भारत के साथ 59,000 करोड़ रुपये के राफेल जेट सौदे के समय राष्ट्रपति थे और वर्तमान राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से भी पूछताछ की उम्मीद है. सौदे के समय मैक्रों वित्त मंत्री थे, ऐसे में उनके प्रदर्शन पर सवाल उठेंगे. वहीं तत्कालीन रक्षा मंत्री और अब फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां-यवेस ले ड्रियन से भी पूछताछ हो सकती है.
क्या है पूरा मामला?
23 सितंबर 2016 को, भारत की एनडीए सरकार ने 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए फ्रांसीसी एयरलाइन डसॉल्ट एविएशन के साथ 59,000 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए. सौदे से सात साल पहले, कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए गठबंधन सरकार ने वायु सेना के लिए 126 मध्यम बहुक्रियाशील युद्धक विमानों की खरीद के लिए कड़ी मेहनत की थी, लेकिन योजना अमल में नहीं आई. कांग्रेस ने इस सौदे को लेकर सरकार पर अनियमितता का आरोप लगाया था. पार्टी ने कहा कि यूपीए सरकार ने राफेल की कीमत 526 करोड़ रुपये तय करने के बावजूद एनडीए सरकार ने 1,670 करोड़ रुपये में एक विमान खरीदा. हालांकि उन्होंने इस सौदे में धांधली के आरोपों से साफ इनकार किया है.