रक्षा अनुसंधान विकास संगठन द्वारा विकसित ठोस-ईंधन, युद्धक्षेत्र मिसाइल भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम से पृथ्वी रक्षा वाहन पर आधारित है.
बुधवार को डीआरडीओ के सूत्रों से पता चला कि भारत ने ओडिशा तट से कम दूरी की जमीन से जमीन पर वार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल 'प्रलय' का सफल परीक्षण किया. रक्षा अनुसंधान विकास संगठन द्वारा विकसित ठोस-ईंधन, युद्धक्षेत्र मिसाइल भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम से पृथ्वी रक्षा वाहन पर आधारित है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि करीब सुबह साढ़े दस बजे एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से प्रक्षेपित की गई मिसाइल ने मिशन के सभी उद्देश्यों को पूरा किया. उन्होंने कहा कि ट्रैकिंग उपकरणों की एक बैटरी ने तट रेखा के साथ इसके प्रक्षेपवक्र की निगरानी की. 'प्रलय' 350-500 किमी कम दूरी की, सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है जिसकी पेलोड क्षमता 500-1,000 किलोग्राम है.
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस पहली विकास उड़ान परीक्षण के लिए डीआरडीओ और सभी जुड़ी हुई टीमों को बधाई दी. उन्होंने इस आधुनिक मिसाइल के सफल प्रक्षेपण के लिए डीआरडीओ की सराहना की.
Congratulations to @DRDO_India and associated teams for the maiden development flight trial. My compliments to them for the fast track development and successful launch of modern Surface-to-Surface Quasi Ballistic missile. It is a significant milestone achieved today. pic.twitter.com/woixwxdxjb
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) December 22, 2021
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सिंह ने ट्वीट किया, "पहले विकास उड़ान परीक्षण के लिए @DRDO_India और संबंधित टीमों को बधाई. तेजी से विकास और आधुनिक सतह से सतह पर मार करने वाली अर्ध बैलिस्टिक मिसाइल के सफल प्रक्षेपण के लिए मैं उन्हें बधाई देता हूं. यह आज हासिल किया गया एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है."
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सचिव डीडी आर एंड डी और अध्यक्ष डीआरडीओ, डॉ जी सतीश रेड्डी ने टीम की सराहना की और कहा कि यह मिसाइल आधुनिक तकनीकों से लैस एक नई पीढ़ी की सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है और इस हथियार प्रणाली को शामिल करने से सशस्त्र बलों, डीआरडीओ को आवश्यक प्रोत्साहन मिलेगा.