द्वापर युग में खुद भीम ने इस व्रत को रखा था। इसी वजह से ये भीमसेनी एकादशी भी कहलाता है। इस बार ये व्रत 31 मई 2023 को होने वाला है।
निर्जला एकादशी व्रत को सबसे सर्वश्रेष्ठ मना गया है। क्योंकि ये बिना कुछ खाए औऱ पीए किया जाता है। द्वापर युग में खुद भीम ने इस व्रत को रखा था। इसी वजह से ये भीमसेनी एकादशी भी कहलाता है। इस बार ये व्रत 31 मई 2023 को होने वाला है। इस दिन विष्णु भगवान की पूजा करने से 24 एकादशियों का फल आपको प्राप्त होता है। ऐसे में आप अपनी पूजा की सामग्री को पहले से ही इक्ट्ठा कर लें। ऐसे में आइए जानते हैं निर्जला एकादशी के लिए क्या है पूजा सामग्री और मुहूर्त।
निर्जला एकादशी व्रत पूजा सामग्री
1. भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र, पूजा की चौकी, पीला कपड़ा
2. पीले फूल, पीले वस्त्र, फल (केला, आम, ऋतुफल), कलश, आम के पत्ते
3. पंचामृत (दूध, दही, घी, शक्कर, शहद), तुलसी दल, केसर, इत्र, इलायची
4. पान, लौंग, सुपारी, कपूर, पानी वाली नारियल, पीला चंदन, अक्षत, पंचमेवा
5. कुमकुम, हल्दी, धूप, दीप, तिल, आंवला, मिठाई, व्रत कथा पुस्तक, मौली
6. दान के लिए- मिट्टी का कलश, सत्तू, फल, तिल, छाता, जूते-चप्पल
निर्जला एकादशी 2023 मुहूर्त
ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि शुरू - 30 मई 2023, दोपहर 01.09
ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि समाप्त - 31 मई 2023, दोपहर 01.47
जल दान करने का मंत्र
इस दिन व्रत करने वाले को या जो व्रती नहीं भी हैं उन्हें जरूरतमंद व्यक्ति या किसी श्रेष्ठ ब्राह्मण को शुद्ध पानी से भरा घड़ा यह मंत्र पढ़कर दान करना चाहिए।
देवदेव हृषिकेश संसारार्णवतारक।
उदकुंभप्रदानेन नय मां परमां गतिम्॥
अर्थात संसार सागर से तारने वाले देवदेव हृषिकेश इस जल के घड़े का दान करने से आप मुझे परम गति प्रदान करें।