उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी का दो दिवसीय सम्मेलन आज से शुरु हो गया है. आज 28 सितंबर को प्रांतीय अधिवेशन है जिसमें में नरेश उत्तम पटेल को एक बार फिर से स्टेट चीफ चुन लिया गया है.
उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी का दो दिवसीय सम्मेलन आज से शुरु हो गया है. आज 28 सितंबर को प्रांतीय अधिवेशन है. जिसमें नरेश उत्तम पटेल को एक बार फिर से स्टेट चीफ चुन लिया गया है. अखिलेश यादव ने उन्हें बधाई देते हुए कहा, "आने वाले समय में जो चुनौतियां हैं, उनका मुकाबला हम सब मिलकर करेंगे. संगठन के साथ-साथ हमारे सभी साथी मिलकर समाजवादी आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे. यह लड़ाई बड़ी है. जो समाज में बांटने वाली ताकतें हैं उनको सत्ता से बाहर निकालने का काम हम मिलकर करेंगे."
29 सितंबर राष्ट्रीय अधिवेशन
सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन कल यानी कि 29 सितंबर को होगा. जिसमें अखिलेश यादव को तीसरी बार समाजावादी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना तय है. अखिलेश यादव को 1जनवरी 2017 को पहली बार पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव के स्थान पर सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था. उसके बाद अक्टूबर 2017 में आगरा में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन में उन्हें एक बार फिर सर्वसम्मति से पार्टी का अध्यक्ष चुना गया था. उस वक्त पार्टी के संविधान में बदलाव कर अध्यक्ष के कार्यकाल को तीन साल से बढ़ाकर पांच वर्ष कर दिया गया था. अक्टूबर 1992 में गठित सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर अब तक यादव परिवार का ही कब्जा रहा है.
सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद अखिलेश यादव ने कहा, "2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादियों ने कोशिश की थी और ऐतिहासिक फैसला लिया था. देश के करोड़ों लोग सपना देख रहे थे कि बहुजन की ताकतें एक साथ एक मंच पर खड़ी हो जाएं, जो कभी डॉक्टर राम मनोहर लोहिया और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने देखा था. वर्ष 2019 में समाजवादियों ने त्याग करके उस सपने को साकार करने की कोशिश की थी. समाजवादी लोग जो चाहते थे कि बड़ी जीत हासिल हो लेकिन जिस तरह के लोग सत्ता में हैं उन्होंने हर चीज का दुरुपयोग किया. हम कामयाब नहीं हुए."
भाजपा को हटाने का संघर्ष करने वाले दल गठबंधन में हमारे साथ थे : अखिलेश
अखिलेश यादव ने कहा, "2019 के बाद दोबारा समाजवादियों ने मिलकर वर्ष 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ा. जो दल उस समय भाजपा को हटाने के लिए संघर्ष कर रहे थे. उन सबको साथ लेकर हम लोगों ने एक मंच पर एक गठबंधन तैयार किया. हम जीत नहीं पाए, लेकिन मैं यह कह सकता हूं 2019 और 2022 के प्रयोग ने और जिस तरह से हमारे नेता और कार्यकर्ताओं ने काम किया. इससे चुनाव में नतीजे भले ही अपेक्षा के अनुरूप न रहे हों, लेकिन इससे साबित हुआ कि भाजपा का मुकाबला अगर कोई कर सकता है और कोई उसे हरा सकता है तो वह समाजवादी पार्टी है."