जानिए कैसे मसूड़ों की बीमारी का है दिल के रोग से कनेक्शन, स्टडी में हुआ चौकाने वाला खुलासा

एक ऐसी स्टडी सामने आई है, जिसमें मसूड़ों की बीमारी का लिंक सूजन, दिल की बीमारी और कैंसर से जुड़ा हुआ बताया गया है। जानिए इसके बारे में पूरी जानकारी यहां।

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इस वक्त जिस दुनिया में हम रह रहे हैं उसमें न जाने आए दिन किसी न किसी को कुछ न कुछ होता ही रहता है। इंसान स्वस्थ जीवन से कम बीमारियों से ज्यादा घिरा रहता है। हर दिन कुछ न कुछ सुनने और देखने को मिलता रहता है। हाल ही में एक ऐसी चीज का पता चला है जो कि काफी चौकाने वाली है। दरअसल एक ऐसी स्टडी सामने आई है, जिसमें मसूड़ों की बीमारी का लिंक सूजन, दिल की बीमारी और कैंसर से जुड़ा हुआ बताया गया है।

मसूड़ों की बीमारी या पीरियोडोंटाइटिस दांतों की पट्टिका में बैक्टीरिया प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा एक हमले को भड़काते हैं। यह सूजन को ट्रिगर करता है, जो समय के साथ- साथ दांतों का समर्थन करने वाले नरम ऊतक और हड्डी को मिटा देता है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के मुताबिक, संयुक्त राज्य अमेरिका में 30 से अधिक उम्र के लोगों में से लगभग आधे को पेरियोडोंटल रोग है। रिसर्च मेंं ये बता सामने आई है कि यह बाकी स्थितियों की एक बड़ी रेंज में योगदान देता है जिसमें पुरानी सूजन एक भूमिका निभाती है। इसके अंदर लंबी सूची में गठिया, दिल का रोग, शुगर, कैंसर आदि शामिल हैं।

हालांंकि, इन स्थितियों को पीरियोडोंटल बीमारी से जोड़ने वाला मैकानिजम अब तक साफ नहीं है। कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय में फैकल्टी ऑफ डेस्टिनरी प्रयोगों से पता चला है कि मसूड़ों की बीमारी में न्युट्रोफिल नामक बल्ड सेल्स की उत्पत्ति होती है, जोकि तब शरीर में कहीं और संक्रमण के कारण अधिक हो जाती हैं।

स्टडी के वरिष्ठ लेखक प्रो. माइकल गॉलगॉयर का कहना है कि यह लगभग ऐसा है जैसे व्हाइट सेल्स दूसरे गियर में होती हैं जब वे पहले में होनी चाहिए। जब शोधकर्ताओं ने चूहों में पीरियडोंटल बीमारी को पैदा किया तो इससे जानवरों के अस्थि मज्जा में न्यूट्रोफिल का प्रसार हुआ, जिससे प्रणालीगत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का संकेत मिला।

वहीं, जब वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में प्रतिभागियों से बल्ड सेम्पल का विश्लेषण किया, तो उन्होंने पाया कि न्यूट्रोफिल उनके शरीर में सभी जानवरों के प्रयोगों की तरह ही सूजन का कारण है। वॉलंटियर्स के ब्रश करने और अपने दांतों को फ्लॉस करने के बाद उनके रक्त में न्यूट्रोफिल पिछले कम प्रतिक्रियाशील स्थिति में लौट आए।

कोरोना से क्या है संबंध?

शोधकर्ताओं ने बताया कि उनके काम की कुछ सीमाएंं थीं। विशेष रूप से वे समय-समय पर रोग के अन्य मॉडलों में अपने प्रयोगों को दोहराना चाहते हैं, जैसे कि चूहों और अमानवीय प्राइमेट्स दोनों मेंं। एक अध्ययन के अनुसार, कोविड-19 ऐसी स्थिति हो सकती है, जिसमें गंभीर इंफेक्शन में इम्यून ओवर रिएक्शन या साइटोकिन स्ट्रोम अन्य अंगों की समस्याएं पैदा कर सकता है।


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