यदि कोई निजी स्कूल किसी शिक्षक या कर्मचारी को अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबित करता है, तो शिक्षा निदेशालय, दिल्ली सरकार से अनुमोदन प्राप्त करना होगा. दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि अगर 15 दिनों के भीतर मंजूरी नहीं ली गई तो निलंबन ही निरस्त हो जाएगा.
कार्यवाही में निलंबित
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम की धारा 8 के बिंदु 4 और 5 के प्रावधानों को स्पष्ट करते हुए यह फैसला दिया. पीठ ने कहा कि स्कूल प्रबंधन आमतौर पर अपने शिक्षकों या कर्मचारियों को अनुशासनात्मक कार्यवाही में निलंबित नहीं कर सकता. स्कूल प्रबंधन विशेष परिस्थितियों में ही ऐसा कर सकता है. ऐसा करने पर 15 दिन के अंदर शिक्षा निदेशालय से मंजूरी लेना अनिवार्य है. ऐसा नहीं करने पर निलंबन की कार्रवाई की जाएगी.
ग्रेच्युटी संशोधन अधिनियम
निजी स्कूलों ने अपनी याचिका के पक्ष में तर्क दिया कि 'ग्रेच्युटी संशोधन अधिनियम 2009 उच्चतम न्यायालय के फैसले का उल्लंघन है. कोर्ट के फैसले में कहा गया कि निजी स्कूल के शिक्षक कर्मचारी नहीं हैं, इसलिए वे ग्रेच्युटी के हकदार नहीं हैं. कोर्ट ने कहा था कि विधायिका को इसमें सुधार करना होगा.