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जानिए क्या है GNCTD बिल जिसके चलते तिलमिलाई 'आप', सरकार की शक्तियों पर पड़ेगा ये असर

जानिए क्या है GNCTD बिल जिसके चलते भड़क गई है दिल्ली सरकार, आप पार्टी पर पडे़गा इसका इतना असर.

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By Deepakshi | खबरें - 25 March 2021

दिल्ली के अंदर राजनीति काफी गर्मती हुई नजर आ रही है. उपराज्यपाल को ज्यादा शक्तियां देने वाले बिल को बुधवार के दिन राज्यसभा से मंजूरी मिल गई है. इससे पहले दिल्ली सरकार संशोधन विधेयक 2021 लोकसभा में पास हो गया था. इस बिल के विरोध में आम आदमी पार्टी के अलावा कांग्रेस भी शामिल है. लेकिन जिन लोगों को ये नहीं पता है कि ये बिल आखिर है क्या? क्यों केजरीवाल सरकार इससे पूरी तरह से तिलमिलाई हुई है? आइए इन सभी सवालों के जवाब एक-एक करके जानते हैं यहां.

क्या है GNCTD बिल में खास?

GNCTD बिल पास होने के बाद दिल्ली सरकार किन चीजों पर चर्चा करेगी या नहीं इस बात को तय भी एलजी ही करेंगे. इस कानून को लेकर ऐसी बातें सामने आ रही है कि ये बिल दिल्ली सरकार की शक्तियों को कम कर देगा. लेकिन इस मामले में केंद्र सरकार ने कहा है कि किसी की भी शक्तियों को कम नहीं किया जा रहा है, क्योंकि आए दिन केजरवील सरकार दिल्ली में एलजी के विरोध सुप्रीम कोर्ट जाती ही रहती है.

लोकतंत्र के लिए दुखद दिन- सीएम अरविंद केजरीवाल

लोकसभा के बाद जब ये बिल राज्यसभा में पास हो गया तो दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के लिए ये एक दुखद दिन है. हम लोगों को अधिकार देने के लिए अपना संघर्ष जारी रखेंगे. जो भी परेशानियां आए, हम अच्छा काम करते रहेंगे. काम न तो रुकेगा और न ही धीमा होगा.

अधिकारों को छीन लिया गया- उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया

वहीं, इस मामले में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने  कहा , ''आज का दिन लोकतंत्र के लिए काला दिन है। दिल्ली की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार के अधिकारों को छीन कर एलजी के हाथ में सौंप दिया गया. विडंबना देखिए कि लोकतंत्र की हत्या के लिए संसद को चुना गया जो हमारे लोकतंत्र का मंदिर है. दिल्ली की जनता इस तानाशाही के खिलाफ लड़ेगी.''

बिल है पूरी तरह से अलोकतांत्रिक- संजय सिंह

वही, इस बिल को आप पार्टी से सांसद संजय सिंह ने अलोकतांत्रिक बताया है. उनका कहना है कि इस बिल से ये साबित हो गया है कि पीएम नरेंद्र मोदी दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से डरते हैं. कई राज्यों में आप पार्टी का विस्तार हो रहा है. इससे घबराकर ही ये बिल लाया गया है.

विपक्षी पार्टियों ने भी जताया कुछ यूं विरोध

राज्यसभा में समाजवादी पार्टी से सांसद विशंभर प्रसाद निषाद ने बिल के विरोध में संसद की कार्रवाई से वॉकआउट कर दिया था. बिल को उन्होंने सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की है. उन्होंने कहा कि ये बिल असंवैधानिक है. YSR कांग्रेस पार्टी के सांसदों ने भी राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया था.

बीजू जनता दल पार्टी के विधायक ने किया वॉकआउट

इतना ही नहीं ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक की बीजू जनता दल पार्टी से सांसद प्रसन्ना आचार्य ने भी बिल का विरोध किया और सदन से वॉकआउट कर दिया. उन्होंने ये कहा कि हमारी पार्टी ने ये फैसला किया है कि वो इस बिल का समर्थन नहीं करेगी. ये बिल चुनी हुई सरकार की ताकत को कम करता है. बिना किसी भी तरह के हंगामे के हम सदन से वॉकआउट कर रहे हैं.

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