इंस्टाफीड ने एक सीरीज की शुरुआत की है, जिसमें हम ऐसे ही बाहुबलियों की कहानी आपको बता रहे हैं। आइए इस बार बिंदी यादव को लेकर जानते है हैरान कर देने वाली बातें।
बाहुबली यूपी-बिहार सहित पूरे देश के लोग इस शब्द से बखूबी परिचित हैं। बाहुबली यानी जिसके पास राजनीतिक शक्ति के साथ आपराधिक इतिहास हो, जो अपने बाहुबल के दम पर सत्ता का सुख भोगता हो और जरूरत पड़ने पर सरकार को भी चुनौती दे सकता हो। राजा भैया, अतीक अहमद, शहाबुद्दीन, मुख्तार अंसारी, विजय मिश्रा सहित कई ऐसे नाम है, जिनका बाहुबल हर कोई जानता हैं, जिनको सही मायने में बाहुबली कहा जाता है।
इंस्टाफीड ने एक सीरीज की शुरुआत की है, जिसमें हम ऐसे ही बाहुबलियों की कहानी आपको बता रहे हैं। आइए इसकी दूसरी कड़ी में बात करते हैं बिंदी यादव की। दरअसल बिहार विधानसभा चुनाव में कई नेताओं की पत्नियों को टिकट दिया गया है। उनकी में से एक है बिंदी यादव की पत्नी मनोरमा देवी। जेल से बाहर आने के बाद जद्यू ने फिर से उन्हे की टिकट सौंप देने का काम किया है। जी हां, वही बिंदी यादव जिस पर राष्ट्रद्रोह के साथ-साथ कई अपराधिक मामले दर्ज हैं। राजनीति में आने के लिए पहले उसने लालू प्रसाद यादव का साथ मांग और फिर नीतीश कुमार का साथ दिया। आइए जानते हैं उस बिंदी यादव की कहानी जोकि पहले था साइकिल चोर और फिर बना बिहार का बाहुबली।
- रॉकी यादव के पिता और मनोरमा देवी के पति बिंदी यादव को बिंदेश्वरी के नाम से भी जानते थे लोग।
- 1980 का था वो वक्त जब वो गया में छोटा-मोटा अपराधी हुआ करता था बिंदी, साइकिल चोरी के आरोप में हुआ था गिरफ्तार।
- बिंदी के थे बड़े-बड़े सपने इसलिए 1990 में दूसरे बदमाश बच्चू के साथ मिलकर 3 साल तक गया में किए थे कई अलग-अलग अपराध।
- लोकल एरिया में दोनों को बिंदिया-बछुआ के तौर पर जाना जाता था, जिनका कोई भी रास्ता नहीं काटता था।
- गया में शहर के अंदर प्राइम प्रॉपर्टी और ज़मीन हड़प कर हासिल की थी बदनामी।
-यही वह समय था जब लालू प्रसाद की सरकार बिहार में बनी हुई थी।
- अपने फायदे के लिए बिंदी ने लालू प्रसाद की सरकार आरजेडी का हिस्सा बनने का फैसला किया। 2001 से 2002 तक वो गया डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के चेयरमैन के पद को संभालते दिखा।
- 2005 में गया (क्षेत्रीय) से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर आरजेडी की टिकट के साथ किस्मत आजमान चाही लेकिन मिली हार।
- 2010 में गुरुआ से फिर विधानसभा चुनाव लड़ा राजद की टिकट पर मिली हार।
- अपने हलफनामे में बिंदी ने अपने खिलाफ 18 आपराधिक मामले घोषित किए थे। लेकिन लालू ने उसे किया नजरअंदाज।
- इसके बाद बिंदी ने 2010 में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ज्वॉइन की थी।
इसलिए चुना राजनीति का रास्ता
- ऐसा कहा जाता है कि बिंदी पर हत्या के साथ-साथ अपहरण के 15 से अधिक मामले दर्ज हैं।
- बच्चू और बिंदी ने ये सोचकर राजनीति का रास्ता चुना क्योंकि उन्हें लगा था कि वो ऐसा करके खुद को सुरक्षित रखेंगे।
- बिंदी पर था राष्ट्रदोह का भी मामला दर्ज।
- रॉकी यादव की मां मनोरमा देवी बात करें तो उन पर शराबबंदी वाले राज्य बिहार में शराब रखने का आरोप लगा था। खाई थी जेल की हवा।
- बता दें कि 2020 में ही जुलाई के महीने में बिंदी यादव की कोरोना के चलते मौत हुई थी।
- बिंदी के नाम पर तो दिल्ली और गया में मॉल, 15 पेट्रोल पंप और होटल भी है।