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दिल्ली की एक अदालत ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को शुक्रवार को चार साल कैद की सजा सुनाई. आदेश पारित करने वाले विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने चौटाला पर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया और उनकी चार संपत्तियों को जब्त करने का आदेश दिया.
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सुनवाई के दौरान, चौटाला के वकीलों ने अदालत से उनकी चिकित्सा स्थिति को देखते हुए एक उदार सजा देने का अनुरोध किया था. हालांकि, सीबीआई ने चौटाला के वकील के खराब स्वास्थ्य और उम्र के आधार पर रियायत देने की मांग का विरोध किया. एजेंसी ने चौटाला के लिए अधिकतम सजा पर जोर देते हुए कहा था कि इससे समाज में गलत संदेश जाएगा.
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सीबीआई ने कहा कि “इस मामले में व्यक्ति, एक सार्वजनिक व्यक्ति है और न्यूनतम सजा देने से गलत संदेश जाएगा. उसके पास स्वच्छ पूर्ववृत्त नहीं है. यह दूसरा मामला है जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया है.”
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मामले की जांच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 26 मार्च, 2010 को चौटाला के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था. एजेंसी ने तर्क दिया कि 1993 और 2006 के बीच, सात बार के विधायक ने 6.09 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति अर्जित की, जो उनकी आय के ज्ञात स्रोत से कहीं अधिक थी.
चौटाला को भ्रष्टाचार निवारण (पीसी) अधिनियम की धारा 13(1)(ई) के साथ पठित 13(2) के तहत दोषी पाया गया था.
2013 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले में दोषी ठहराए जाने और भ्रष्टाचार के आरोप में सात साल और आपराधिक साजिश के आरोप में 10 साल की सजा सुनाए जाने के बाद चौटाला की यह दूसरी सजा है.
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