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पीएम नरेंद्र मोदी के कृषि कानून की वापसी को लेकर राकेश टिकैत ने यूं रखी अपनी बात

पीएम नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा करते हुए कई बातों का जिक्र किया. जानिए इस अहम घोषणा के बाद क्या रहा है किसान नेता राकेश टिकैत का रिएक्शन.

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By Deepakshi | खबरें - 19 November 2021

राष्ट्र को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले एक साल से विवादों में चल रहे तीन कृषि कानूनों को वापस ले लिया है. लोगों को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि पांच दशक के अपने सार्वजनिक जीवन में मैंने किसानों की मुश्किलों, चुनौतियों को बहुत करीब से अनुभव किया है. उन्होंने राष्ट्र को संबोधित करते हुए छोटे किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए अपनी सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर भी चर्चा की है. पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए इस ऐलान के बाद भारतीय किसान यूनियन के लीडर और राष्ट्रीय प्रवक्त के तौर पर पहचाने जाने वाले राकेट टिकैत ने जानिए क्या कहा?

पीएम नरेंद्र मोदी के इस बड़े ऐलान के बाद राकेश टिकैत ने कहा आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा. सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें.'' देश के नाम संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज मैं सभी को बताना चाहता हूं कि हमने तीनों कृषि कानून को निरस्त करने का फ़ैसला किया है. मकसद ये था कि देश के किसानों को, खासकर छोटे किसानों को, और ताकत मिले, उन्हें अपनी उपज की सही कीमत और उपज बेचने के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्प मिले आज मैं सभी को बताना चाहता हूं कि हमने तीनों कृषि कानून को निरस्त करने का फ़ैसला किया है. बरसों से ये मांग देश के किसान, देश के कृषि विशेषज्ञ, देश के किसान संगठन लगातार कर रहे थे. पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन किया था.

ससंद में भी हुआ कृषि कानूनों को लेकर मंथन

पीएम नरेंद्र मोदी ने आगे अपनी बात रखते हुए कहा, ''इस बार भी संसद में चर्चा हुई, मंथन हुआ और ये कानून लाए गए. देश के कोने-कोने में कोटि-कोटि किसानों ने, अनेक किसान संगठनों ने, इसका स्वागत किया, समर्थन किया. मैं आज उन सभी का बहुत आभारी हूं.  हमारी सरकार, किसानों के कल्याण के लिए, खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए, देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, गांव गरीब के उज्जवल भविष्य के लिए, पूरी सत्य निष्ठा से, किसानों के प्रति समर्पण भाव से, नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी, लेकिन इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए.''


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