सरकारी अस्पतालों में नकली दवाओं को लेकर जो मामला सामने आया है वह चौंकाने वाला है. अभी सिर्फ अस्पतालों से लिए गए सैंपल ही सामने आए हैं.
सरकारी अस्पतालों में नकली दवाओं को लेकर जो मामला सामने आया है वह चौंकाने वाला है. अभी सिर्फ अस्पतालों से लिए गए सैंपल ही सामने आए हैं, लेकिन यहां चिंता की बात यह है कि ये दवाएं दिल्ली भर के सभी सरकारी अस्पतालों में सप्लाई की जा चुकी हैं. इसका साफ मतलब है कि दवाएं दूसरे अस्पतालों में आने वाले मरीजों को दे दी गई हैं. 12 सैंपल की रिपोर्ट आनी बाकी है. अन्य दवाओं के फेल होने के मामले भी हो सकते हैं.
सरकारी अस्पतालों में सप्लाई
जो दवाएं नकली पाई गईं, वे स्वास्थ्य विभाग के अधीन सेंट्रल प्रोक्योरमेंट एजेंसी द्वारा खरीदी गई थी. यह वही एजेंसी है जो दिल्ली भर के अस्पतालों के लिए दवाएं खरीदती है. विशेषज्ञों का मानना है कि इसका गठन इसलिए किया गया ताकि दवाओं की खरीद से भ्रष्टाचार दूर किया जा सके और अस्पतालों में दवाओं की आपूर्ति सुचारु रूप से की जा सके. लेकिन इस एजेंसी की विश्वसनीयता धूमिल हो गई है.
नकली दवाओं की आपूर्ति
इस एजेंसी द्वारा विभिन्न सरकारी अस्पतालों में इन नकली दवाओं की आपूर्ति की जाती थी. मतलब ये दवाएं दिल्ली सरकार के 32 अस्पतालों और 500 से ज्यादा मोहल्ला क्लीनिकों में भी सप्लाई की गई हैं. सूत्रों की मानें तो निगरानी विभाग को यह भी शिकायत मिली है कि कई कंपनियां बहुत कम कीमत पर टेंडर निकालती हैं और काम हासिल कर लेती हैं, फिर दवा के नाम पर नकली दवाएं सप्लाई करती हैं. क्योंकि इतनी कम कीमत पर दवा तैयार कर सप्लाई करना संभव नहीं है.
दवाओं की कालाबाजारी
लेकिन यह इस तरह का पहला मामला है या यूं कहें कि इस मामले की कभी इतने बड़े पैमाने पर जांच नहीं हुई कि दवाओं की गुणवत्ता क्या है? इससे पहले भी दवाओं की कालाबाजारी जैसे मामले सामने आते रहे हैं. कुछ साल पहले ह्यूमन बिहेवियर एंड अलाइड साइंसेज में एक मामला सामने आया था कि अस्पताल के पास एक मेडिकल स्टोर पर अस्पताल की दवाएं बेची जा रही थीं. मामले के तूल पकड़ने पर हंगामा मच गया, लेकिन उसके बाद सब शांत है.