बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी माता सरस्वती की पूजा की जाती है. इस वर्ष बसंत पंचमी 14 फरवरी, बुधवार को मनाई जाएगी. मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती का जन्म हुआ था.
बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी माता सरस्वती की पूजा पूरे विधि विधान से की जाती है वसंत पंचमी 14 फरवरी बुधवार को मनाया जाएगा इसकी यह मान्यता होती है कि इस दिन माता सरस्वती का जन्म हुआ था. इतना ही नहीं माता सरस्वती को विद्या और ज्ञान की देवी माना जाता है. वही शास्त्रों में भी देवी सरस्वती की पूजा के विधान के साथ-साथ कई ऐसे कार्य भी बताए गए हैं जिन्हें करने से परहेज करना चाहिए अगर आप वर्जित कार्यों को गलती से कर लेते हैं तो यह आपके लिए सही नहीं होगा हानि की संभावना हो सकती है.
काले रंग के कपड़े नहीं पहने
बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का विशेष महत्व होता है. मां सरस्वती को पीला रंग प्रिय है. इस दिन देवी मां की पूजा में पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें और स्वयं भी पीले रंग के वस्त्र पहनें. बसंत पंचमी के दिन भूलकर भी काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए.
पौधों को काटना अशुभ
बसंत पंचमी के दिन से ही वसंत ऋतु की भी शुरुआत होती है. इस दिन प्रकृति की पूजा के रूप में नये पेड़-पौधे लगाने चाहिए. इस दिन भूलकर भी पेड़-पौधों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए. विशेषकर पौधों को काटना या उखाड़ना अशुभ फल देता है. इससे जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
किताबें ख़राब नहीं
देवी सरस्वती ज्ञान और बुद्धि की देवी हैं. बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का आशीर्वाद पाने के लिए कॉपी किताब और कलम की भी पूजा करनी चाहिए. किताबें ख़राब नहीं होनी चाहिए.
तामसिक भोजन या शराब
देवी सरस्वती वाणी की देवी भी हैं. बसंत पंचमी के दिन मनुष्य की जिह्वा पर देवी सरस्वती विराजमान होती हैं इसलिए भूलकर भी अपशब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए. इस दिन तामसिक भोजन या शराब के सेवन से दूर रहना चाहिए.