कोरोना वैक्सीन को लेकर जरूर जानिए इन सवालों के जवाब, क्या नए स्ट्रेन पर पड़ेगा असर?

कोरोना वायरस को लेकर इस वक्त हम सभी के दिमाग में कई सारे सवाल घूम रहे होंगे जिनके जवाब जानना आपके लिए बेहद जरूरी है। क्योंकि जल्द ही भारत मे टीकाकरण शुरू हो जाएगा।

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साल 2020 जब शुरु हुआ तब हम सभी को ऐसा लग रहा था कि ये भी बाकी सालों की तरह ही होगा।  नए साल में कुछ उतार-चढ़ाव होंगे लेकिन किसी ने ये कभी नहीं सोचा था कि विश्वभर के लिए ये साल किसी घातक साल से कम नहीं होगा। कोरोना वायरस जैसी महामारी ने इस तरह से अपने पैर पसारे की सभी लोगों के अरमान, परिजन और रोजगार कुचल गए। लॉकडाउन की स्थिति हर जगह हो गई। हर कोई बस यहीं दुआ करने लगा कि भगवान इस महामारी का खात्मा जल्द से जल्द हो जाए। इसके लिए भारत समेत विश्वभर के वैज्ञानिकों ने जमकर मेहनत की। इसी का परिणाम है कि हमें एक या दो नहीं बल्कि विश्वभर के वैज्ञानिकों की कढ़ी मेहनत के चलते बहुत सारी वैक्सीन हासिल हुई है। 

भारत में भी दो वैक्सीन आ चुकी है कोवैक्सीन और कोविशील्ड। आप सोच रहेंगे कि इतनी सारी वैक्सीन में से कौन सी वैक्सीन सबसे प्रभावित है और कैसा उसका रिएक्शन होगा? बाकी वैक्सीन इसके मुकाबले आखिर कैसे काम करेगी? तो चलिए एक-एक करके आपके दिमाग में चल रहे सभी सवालों को कर देते हैं नौ दो ग्यारह।

लेकिन सबसे पहले हम शुरुआत करते हैं इस चीज से आखिर वैक्सीन होती क्या है? 

आप सोच रहेंगे कि वैक्सीन मतलब इंजेक्शन से दी गई दवाई है लेकिन आपको बता दें कि वैक्सीन एक जैविक पदार्थों से बना एक मेटिरियल होता है। शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधन क्षमता को बढ़ाकर शरीर में पैदा होने वाले सूक्ष्मजीवों को खत्म करने का काम करती है वैक्सीन। इतना ही नहीं जिन लोगों में अभी तक वायरस का संक्रमण नहीं हुआ है उनमें भी इम्युनिटी का विकास करके बीमारी को फैलाने से रोकती है।

दुनिया भर में इन देशों में इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए वैक्सीन को मंजूरी मिली है-

1. देश- अमेरिका 

वैक्सीन के नाम- फाइजर और मॉडर्ना 

स्थिति- वैक्सीन को इमरजेंसी यूज का अप्रूवल मिल चुका है।

2. देश- ब्रिटेन 

वैक्सीन के नाम- फाइजर और एस्ट्राजेनेका

स्थिति- वैक्सीन को दी है मंजूरी और वैक्सीनेशन चल रहा है।

3. देश- चीन

  वैक्सीन के नाम- सिनोफार्म की वैक्सीन

  स्थिति- कुछ शर्तों के साथ दी है मंजूरी 

4- देश- रूस 

    वैक्सीन के नाम-  स्पूतनिक V 

     स्थिति- मास वैक्सीनेशन शुरू किया जा चुका है।

5- देश- कनाडा 

    वैक्सीन के नाम-  फाइजर और बायोएनटेक

     स्थिति- वैक्सीन को मंजूरी दी है।

भारत के अंदर क्या है वैक्सीन की स्थिति?

भारत के अंदर दो वैक्सीन कोवीशील्ड और कोवैक्सीन को मंजूरी मिली चुकी है। इसके बाद अब 13 से 14 जनवरी को वैक्सीनेशन भी शुरू हो जाएगी। लेकिन हाल ही में एक सर्वे सामने आया जिसमें ये बात देखी गई है कि 69 प्रतिशत लोग वैक्सीन लगवाने से पहले घबरा रहे हैं। इन दोनों को फिलहाल सीमित इमरजेंसी के इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिली है। इसके चलते ही पूरे देश में ड्राई रन होगा।

एक ही नहीं बल्कि दोनों डोज लगाना है जरूरी?

लोगों से इस बात की अपील की जा रही है कि पहली डोज और दूसरी डोज के बीच कुछ अंतर रखा जाए। यदि हो  सके तो दो महीने पूरे होने के बाद ही डोज ली जाए। तो इसकी सफलता आपको मिलेगी। लेकिन पहली डोज के बाद लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत होगी। लेकिन इस बीच आपका सतर्क रहना काफी जरूरी है। यदि आप एक ही डोज लेते हैं तो आपको वैसी प्रोटेक्शन नहीं मिलेगी जैसे की दोनों डोज को लेकर मिलेगी। 

अब तक कम समय में बनाने वाली वैक्सीन ये है- 

- वैरिसेला  (बीमारी- चेचक) 

टाइम- 28 साल

- फ्लू मिस्ट (बीमारी- इंफ्लुएंजा)

टाइम- 28 साल

- एच.पी. वी (बीमारी- एच.पी. वी वायरस)

 टाइम- 15 साल

- रोटा वायरस (बीमारी- रोटा वायरस)

 टाइम- 15 साल

- कोविड 19 (लक्षय) 

कैसे लगाया जाएगा वैक्सीन?

वैक्सीन को देने की प्रक्रिया में सिर्फ इंजेक्शन ही नहीं आता है बल्कि मुंहे से पिलाकर या फिर सांस के जरिए इनहेल कराकर भी वैक्सीन को दिया जा सकता है। इतना ही नहीं  नोजल स्प्रे यानी कि नाक में भी इसे डाला जाता है।

कई सालों के बाद भी नहीं मिली इन गंभीर बीमारियों की वैक्सीन

कोरोना की तो भले ही फिलहाल वैक्सीन आना शुरु हो चुकी लेकिन क्या आपको पता है कि देश में कई ऐसी गंभीर बीमारियां है जिसकी कोई भी वैक्सीन इस वक्त मौजूद नहीं है। उन बीमारियों को काफी साल भी हो चुके हैं। उनके नाम कुछ इस तरह से हैं- 

- एचआईवी

- एवियन इन्फ्लूएंजा

- सार्स

- मर्स

कोविड - 19 को लेकर अहम जानकारी

कोविड-19 टीकों नयापन कुछ के लिए कठिन लग सकता है और उनकी प्रभावशीलता पर सवाल उठना एक तरह से स्वाभाविक है। ऐसे में आइए जानते हैं हम प्रभावशीलता और प्रभावकारिता के बीच के अंतर के बारे में यहां। आइए कोविड-19 टीके की तुलना अन्य टीकों से करते हैं जैसे कि फ्लू शॉट और उनकी सुरक्षा विचारों की तुलना करते हैं।

सबसे पहले यह ध्यान देने वाली बात है कि "प्रभावशीलता" और "प्रभावकारिता" समान नहीं हैं। प्रभावकारिता से मतलब है कि आइ़डल प्रयोगशाला परिस्थितियों में वैक्सीन कैसे कार्य करती है, जैसे कि क्लिनिकल ट्रायल में। इसके उलटा है प्रभावशीलता से मतलब है कि वास्तविक दुनिया में यह कैसे काम करती है।

हालांकि, क्लिनिकल ट्रायल के लिए चुने गए प्रतिभागी सामान्य आबादी वाले लोगों की तुलना में स्वस्थ और नौजवान होते हैं, और आमतौर पर उनकी कोई अंतर्निहित स्थिति नहीं होती है। इसके अलावा शोधकर्ताओं ने आम तौर पर इन अध्ययनों में कुछ समूहों को शामिल नहीं किया है, जैसे कि बच्चे या गर्भवती लोग। इसलिए, जबकि एक टीका एक परीक्षण में बीमारी को रोक सकता है, हम व्यापक आबादी के लिए प्रशासित होने पर इस प्रभावशीलता को कम कर सकते हैं।

कौन सी वैक्सीन है कितनी असरदार?

- पोलियो की वैक्सीन 100% तक प्रभावी हो सकती है। दरअसल CDC के अनुसार, “निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन (IPV) की दो खुराक पोलियो के खिलाफ 90% प्रभावी या अधिक हैं; तीन खुराक 99% से 100% प्रभावी हैं।

- MMR वैक्सीन, जो खसरा और रूबेला से बचाता है, दो खुराक में खसरा को रोकने में 97% तक प्रभावी हो सकता है।

नए स्ट्रेन पर वैक्सीन कितनी असरदार?

नए स्ट्रेन पर वैक्सीन कितनी असरदार उसकी बात करें तो मॉर्डना का ये दावा है कि वो पूरी तरह से नए कोरोना के स्ट्रेन पर कारगर है। उनका ये बयान है कि मॉर्डन की वैक्सीन इस काम के लिए तैयार है वैसे वो आगे भी इसको लेकर जांच कर रहे हैं। 

क्या कोरोना वैक्सीन के चलते नपुंषकता संभव है? 

इसका जवाब है न क्योंकि ये बात पूरी तरह से निराधार है।

ये वो तमाम सवाल थे जोकि इस वक्त हर किसी के दिमाग में ऐसे घूम रहे थे और जिनके जवाब जानना कहीं न कहीं आपके लिए भी बेहद जरूरी थे। क्योंकि किसी भी तरह की दुविधा आपके लिए परेशानी खड़ी करने का काम कर सकती है।

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