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'गैस चैंबर' बन चुके दिल्ली-एनसीआर को फिलहाल वायु प्रदूषण से राहत नहीं मिलने वाली है. शुक्रवार को भी यहां का बुरा हाल रहा, दिल्ली के कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 471 के करीब दर्ज किया गया. इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण पर अपनी पिछली सुनवाई आज एक बार फिर जारी रखी. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के अपने निर्देशों के अनुपालन की निगरानी के लिए एक फ्लाइंग स्क्वॉड का गठन किया है.
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गौरतलब है कि दिल्ली के अलावा एनसीआर समेत उत्तर प्रदेश के कई शहरों में प्रदूषण की वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं दिल्ली सरकार का कहना है कि राजधानी में प्रदूषण यूपी से आता है. यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सबसे ज्यादा प्रदूषण पाकिस्तान से आ रहा है. यूपी सरकार ने अपने तर्क में कहा कि राज्य में उद्योग बंद होने से राज्य में गन्ना और दुग्ध उद्योग प्रभावित हो सकते हैं. उत्तर प्रदेश की भौगोलिक स्थिति नीचे की ओर है.
बंद करो पाकिस्तान की इंडस्ट्री
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता रंजीत कुमार ने कहा, 'हम खुद हवा के प्रवाह के क्षेत्र में हैं, इसलिए दिल्ली में हमारी तरफ से हवा मिलना संभव नहीं है. हवा पाकिस्तान की ओर से आ रही है. रंजीत कुमार की दलील पर तंज कसते हुए चीफ जस्टिस सीवी रमन्ना ने कहा, 'तो आप पाकिस्तान के उद्योगों को बंद करना चाहते हैं?' बता दें कि आज की कोर्ट की सुनवाई पूरी हो चुकी है. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट 10 दिसंबर को सुनवाई करेगा.
दिल्ली में निर्माण कार्य के लिए मांगी अनुमति
इस बीच, दिल्ली में निर्माण कार्य पर प्रतिबंध को बहाल करने का आग्रह करते हुए, दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रीय राजधानी में अस्पतालों की निर्माण गतिविधियों की अनुमति देने के लिए कहा. दिल्ली सरकार का कहना है कि कोविड-19 की तीसरी लहर की तैयारी और उससे निपटने के लिए अस्पतालों के बुनियादी ढांचे में सुधार का काम शुरू किया गया है और 7 नए अस्पतालों का निर्माण शुरू किया गया है, लेकिन निर्माण प्रतिबंधों के कारण. क्योंकि काम ठप हो गया है.
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