लामा येशी खावो ने कहा कि चीनी सरकार हमेशा अन्य देशों के इलाकों के पीछे पड़ी रहती है. यह पूरी तरह से गलत है. चीनी सरकार गलत है. उनकी नजर भारतीय भूमि पर भी है.
अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत और चीन के बीच हुई झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव जारी है. विपक्ष भी इस मुद्दे पर सरकार पर लगातार हमलावर बना हुआ है. चीन के मुद्दे पर विपक्ष ने आज लोकसभा में आज वॉकआउट भी कर दिया. इस बीच तिब्बतियों के सबसे बड़े धर्म गुरु दलाई लामा का बयान सामने आया है. दलाई लामा ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए कहा कि वो चीन जाएंगे. वो आजीवन भारत में ही रहेंगे.
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में आज यानी की सोमवार को दलाई लामा से पत्रकारों ने पूछा कि क्या वो कभी चीन लौटेंगे? इस बात का जवाब देते हुए दलाई लामा ने कहा कि चीन लौटने का कोई मतलब नहीं है. मुझे भारत पसंद है. कांगड़ा वह जगह जो- पंडित नेहरू की पसंद थी, यह मेरा स्थायी निवास है.
भारतीय सेना को मिल रहा है भिक्षुओं का साथ
चीन और भारत के बीच विवाद पर भारतीय सेना को बौद्ध भिक्षुओं का काफी समर्थन मिल रहा है. तवांग में चीनी सेना सैनिकों से भारतीय जवानों की झड़प के बाद तवांग में स्थित प्रसिद्ध मठ के भिक्षु लामा येशी खावो ने कहा है कि यह 1962 नहीं है, 2022 है और यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी को नहीं बख्शेंगे. हम भारतीय सेना और मोदी सरकार का समर्थन करते हैं.
लामा येशी खावो ने कहा कि चीनी सरकार हमेशा अन्य देशों के इलाकों के पीछे पड़ी रहती है. यह पूरी तरह से गलत है. चीनी सरकार भी गलत है. उनकी नजर भारतीय भूमि पर भी है. अगर वो (चीन) शांति चाहते हैं, तो उनको किसी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए.
चिंता की बात नहीं है भारतीय सेना सीमा पर मुस्तैद है: दलाई लामा
उन्होंने आगे कहा कि तवांग भारत का अभिन्न अंग है. हमें कोई चिंता नहीं है क्योंकि भारतीय सेना सीमा पर मौजूद है. सीमा पर जो घटनाएं हुईं, उनकी चिंता नहीं है. हम यहां सुकून से रह रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि तवांग मठ 1681 में बनाया गया था जो एशिया का दूसरा सबसे बड़ा और सबसे पुराना मठ है. इसे 5वें दलाई लामा की मंजूरी के बाद बनाया गया था.
कौन हैं दलाई लामा
14वें दलाई लामा एक तिब्बती धर्मगुरु हैं. तिब्बती मान्यता के मुताबिक दलाई लामा एक अवलौकितेश्वर या तिब्बत में जिसे शेनेरेजिंग कहते हैं, वही स्वरूप हैं। दलाई लामा को बोधिसत्व यानी बौद्ध धर्म का संरक्षक माना जाता है. बौद्ध धर्म में बोद्धिसत्व ऐसे लोग होते हैं तो जो मानवता की सेवा के लिए फिर से जन्म लेने का निश्चय लेते हैं. वर्तमान में जो दलाई लामा हैं, उनका असली नाम ल्हामो दोंडुब है. उनका जन्म नार्थ तिब्बत के आमदो स्थित एक गांव जिसे तकछेर कहते हैं, वहां पर छह जुलाई 1935 को हुआ था. ल्हामो दोंडुब की उम्र जब सिर्फ 2 साल थी तो उसी समय उन्हें 13वें दलाई लामा, थुबतेन ग्यात्सो का अवतार मान लिया गया था. इसके साथ ही उन्हें 14वां दलाई लामा घोषित कर दिया गया.