अगर WHO सही समय पर सही जानकारी दे देता तो ये महामारी इतनी नहीं फैलती.
Covid-19 से पूरी दुनिया परेशान है. इसकी की पहली लहर (First Wave) के दौरान उतना नुकसान नहीं हुआ जितना अब हो रहा है. सोशल मीडिया पर अक्सर 2020 को कोसा जाता था. इसे विष के तौर पर देखा जाता था, मगर दूसरी लहर तो और भी ख़तरनाक साबित हो रही है. पूरी दुनिया के कई देश इसकी चपेट में आ चुके हैं. भारत के साथ ही अब जापान भी महामारी की जबरदस्त चपेट में आ गया है और देश में इमरजेंसी लागू कर दी गई है. स्थिति इतनी ख़तरनाक है कि इसे ग्लोबल महामारी के तौर पर देखा जा रहा है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस अधानोम गेब्रियेसुस (Tedros Adhanom) ने चेताया है-हम लोग इस महामारी के दूसरे साल में हैं. और ये पहले साल से कही ज्यादा घातक साबित हो सकती है.
WHO की जांच पर भी सवाल
विश्व के कई देश ये मानते हैं कि अगर WHO सही समय पर सही जानकारी दे देता तो ये महामारी इतनी नहीं फैलती.
फिर शंका के घेरे में आया चीन
इस बीच दुनिया के शीर्ष वैज्ञानिकों के एक समूह ने कहा है कि वायरस के चीन के लैब से लीक होने की थ्योरी को खारिज नहीं किया जा सकता. वर्ष 2019 के आखिर में चीन में कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला सामने आया था. उसके बाद से इस वायरस ने वैश्विक स्तर पर 30 लाख से ज्यादा लोगों को अपना शिकार बनाया है. अरबों डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ है और सात बिलियन इंसानों की जिंदगी पटरी से उतर गई है.
ये सही है कि WHO की भूमिका गड़बड़ रही है. विश्व के कई देश चीन पर सवाल भी उठा रहे हैं. आज कोरोना वायरस के कारण कई देशों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. मानव जीवन पूरी तरह से संकट में है. ऐसे में चीन की जवाबदेही तो बनती है.