चारधाम परियोजना को मंजूरी देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र एक गैर सरकारी संगठन से अतिरिक्त सुरक्षा उपायों को लेकर सुझाव मांगे हैं. इस दौरान कोर्ट में क्या-क्या हुआ जानिए उसके बारे में यहां.
चारधाम परियोजना को मंजूरी देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र एक गैर सरकारी संगठन से अतिरिक्त सुरक्षा उपायों को लेकर सुझाव मांगे हैं. ऐसे में चारधाम प्रोजेक्ट के बचाव में सरकार ने अपनी तरफ से पक्ष रखा है. केंद्र ने अदालत से अपनी बात रखते हुए कहा कि सेना अपने मिसाइल लॉन्चर, भारी मशीनरी को उत्तरी भारत-चीन सीमा की ओर नहीं ले जाएगी, तो देश की रक्षा आखिरी कैसे करेगी, किस तरह से युद्ध लड़ेगी.
वहीं, चारधाम राजमार्ग परियोजना के निर्माण के चलते हिमालयी क्षेत्रों में भूस्खलन की परेशानियों पर सरकार ने कहा कि आपदा को कम करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए गए हैं. सेना को चीन की सीमा तक पहाड़ी दर्रों से पहुंचने के लिए ऊंचे लेवल पर काम करना है. चाहे बर्फबारी हो या फिर भूस्खलन. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की खंडपीठ ने सड़क को चौड़ी करने के खिलाफ एनजीओ सिटीजन फॉर ग्रीन दून की याचिका पर अपने आदेश को संशोधित करने के लिए रक्षा मंत्रालय की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.
साथ ही इस बात का भी आदेश दिया कि क्षेत्र में भूस्खलन कम करने के लिए उठाए गए कदमों और उठाए जाने वाले कदमों के बारे में लिखित में दें. केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अपनी बात रखते हुए कहा ये दुर्गम इलाके हैं, इन जगहों पर सेना को भारी वाहन, मशीनरी, हथियार, मिसाइल, टैंक, सैनिक और खाद्य आपूर्ति को भेजना होता है. उन्होंने कहा कि हमारी ब्रह्मोस मिसाइल 42 फीट लंबी है, इसके लॉन्चर ले जाने के लिए बड़ी गाड़ियों की जरूरत है. अगर सेना अपने मिसाइल लॉन्चर और मशीनरी को उत्तरी चीन की सीमा तक नहीं ले जा पाएगी तो युद्ध कैसे लड़ेगी. इन सबके अलावा केके वेणुगोपाल ने कहा कि भूस्खलन तो देश में कहीं भी हो सकता है, इस तरह की आपदा से निपटने के लिए कई जरूरी कदम उठाए गए हैं. सड़कों को आपदा रोधी बनाने की जरूरत है.