अबू धाबी में बन रहा है अयोध्या जैसा 'राम मंदिर', उम्र होगी कम से कम 1000 साल

मंदिर में राजस्थान के गुलाबी पत्थर और इटली के मैसेडोनिया के संगमरमर का इस्तेमाल किया जाएगा. इस मंदिर पर हिंदू महाकाव्यों की तस्वीरों और कहानियों को भी चित्रित किया जाएगा.

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अबु धाबी: संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी में एक हिंदू मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. यह यूएई का पहला पारंपरिक पत्थर का मंदिर होगा. बीएपीएस हिंदू मंदिर अबू धाबी परियोजना के सदस्यों का दावा है कि इस मंदिर की उम्र करीब 1000 साल है, यानी मंदिर एक हजार साल तक मजबूती से खड़ा रहेगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंदिर के निर्माण का पहला चरण पूरा हो चुका है.


भारत से कारीगरों के आने का इंतजार

खलीज टाइम्स से बात करते हुए प्रोजेक्ट मेंबर्स ने बताया कि मंदिर की नींव का काम पूरा हो चुका है. भारत से कारीगरों के आने के बाद गुलाबी पत्थर लगाने का काम भी पूरा हो जाएगा. मंदिर निर्माण से जुड़े लोगों ने यूट्यूब पर एक वीडियो अपलोड करते हुए प्रोजेक्ट से जुड़ी नई बातों का खुलासा किया. धार्मिक नेता और बीएपीएस हिंदू मंदिर के प्रवक्ता पूज्य ब्रह्मविहारी स्वामी ने बताया कि अबू मुरीखाह स्थित मंदिर की जमीन पर बलुआ पत्थर की मोटी परत बिछा दी गई है. यूएई में भारतीय हिंदुओं के लिए बेहद 'शुभ' होगा साल 2022, दुबई के भव्य मंदिर के दर्शन कर सकेंगे.


मंदिर की आयु कम से कम 1000 वर्ष

उन्होंने बताया कि यह बहुत सख्त और मजबूत है और सतह से एक मीटर नीचे तक है. प्रोजेक्ट स्ट्रक्चरल इंजीनियर डॉ कोंग सिया केओंग ने कहा, "मैं इस टीम का हिस्सा बनकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं क्योंकि यह पहली बार है जब किसी प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है जो कम से कम 1000 साल तक चलेगा. बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) संस्था इस मंदिर का निर्माण 450 दिरहम यानी करीब 888 करोड़ रुपये की लागत से कर रही है.


हिंदू महाकाव्यों से चित्रित चित्र और कहानियां

नींव का काम पूरा होने के बाद मंदिर के ऊपर नक्काशीदार पत्थर और कंचे रख कर मंदिर को आकार दिया जाएगा. गल्फ न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, पारंपरिक पत्थर के मंदिर का अंतिम डिजाइन और हाथ से नक्काशीदार पत्थर के खंभे की तस्वीरें नवंबर में जारी की गई थीं जो भारत में बनी हैं. इन्हें राजस्थान और गुजरात के कलाकारों ने भारत में बनाया है. मंदिर में राजस्थान के गुलाबी पत्थर और इटली के मैसेडोनिया के संगमरमर का इस्तेमाल किया जाएगा. इस मंदिर पर हिंदू महाकाव्यों की तस्वीरों और कहानियों को भी चित्रित किया जाएगा.

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