इस वक्त लोग वैक्सीन लगाने से घबराते हुए नजर आ रहे हैं। जानिए आपके डर से जुड़े हर सवाल का जवाब जोकि आपकी जिदंगी के लिए महत्वपूर्ण है।
देश में कोरोना को हराने के लिए हम सबके बीच दो वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन आ गई है। वैक्सीनेशन देने का पहला फेज हम सब जानते हैं कि शुरू हो चुका है। वहीं, हाल ही में ऐसी खबर सामने आई है कि वैक्सीनेशन के दूसरे चरण में खुद पीएम नरेंद्र मोदी, राज्यों के मुख्यमंत्री और सांसद टीका लगवाएंगे। यहां तो हमने बात कर ली पहले और दूसरे चरण की। लेकिन अब बात कर लेते हैं जरा आपकी।
जी हां, पहले और दूसरे चरण के बाद तो आपका ही नंबर आने वाला है। लेकिन इसकी शुरूआत हुई नहीं उससे पहले ही कुछ लोग घबराते नजर आ रहे हैं और वैक्सीन से कर रहे हैं तोबा। वो ऐसा क्यों कह रहे हैं? ऐसे में भारत सरकार की ओर से क्या कदम उठाए जा रहे हैं? देश के आम नागरिक यदि वैक्सीन खरीदेंगे तो कितने की होगी कीमत? ऐसे ही तमाम सवालों के जवाब एक-एक करके जानते हैं हम यहां-
नॉट शॉट एंड स्वीट
आपको ये जानकार काफी हैरानी होगी कि दिल्ली-एनसीआर के इलाकों में रहने वाले 40 प्रतिशत लोग वैक्सीन लगवाने से घबराते हुए नजर आ रहे हैं। टेलीफॉनिक सर्वे के मुताबिक 3168 नागिरकों में से 20 प्रतिशत लोगों ने तो ये भी तय कर लिया है कि वो कुछ भी हो जाए वैक्सीन नहीं लगवाने वाले हैं। वहीं, 15 प्रतिशत लोग इसको लेकर कुछ भी तय नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावा 4 प्रतिशत वो लोग सामने आए हैं जिनका कहना है कि वो इसीलिए वैक्सीन नहीं लाएंगे क्योंकि वो पहले से ही अपने अंदर वायरस लिए हुए हैं।
वैक्सीन के नाम से घबराए हरियाणा के लोग
हरियाणा में सबसे अधिक यानी 44 प्रतिशत लोग वैक्सीन के नाम से ही घबरा रहे हैं। इसके अलावा जो लोग ये वैक्सीन लगाने के लिए तैयार है उनमें से 41 प्रतिशत लोगों का ये मानना है कि वैक्सीन तो फ्री में मिलने चाहिए। 40 प्रतिशत का कहना है कि वैक्सीन पैसों में मिलनी चाहिए। इसके अलावा सर्वे किए गए घर के 38% में से कम से कम एक सदस्य का कोविड टेस्ट किया गया है।
कहां से वैक्सीन को लेकर लोगों का घबराना हुआ शुरु?
इसके बारे में हम आपको आसान तरीके से समझाते हैं। 16 जनवरी यानी जब से वैक्सीनेशन शुरु हुई थी तब से लेकर 20 जनवरी तक वैक्सीनेशन की कैपेसिटी इसीलिए कम रही थी क्योंकि इससे पहले बहुत सारी परेशानियां इससे जुड़ी प्रक्रिया और सिस्टम में देखने को मिली थी। लेकिन देखा जाए तो इस मामले में कुछ राज्य बाकियों के मुकाबले अच्छा काम करते हुए नजर आ रहे हैं। इस मामले में आप कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और उड़ीसा क ही देख लीजिए।
आइए यहां जानते हैं कि वैक्सीनेशन के नंबर में क्योें आई कमी
- अलग-अलग राज्यों में वैक्सीनेशन के दिन अलग-अलग दिनों का होना।
- लोगों के मन में वैक्सीन को लेकर घबराहट का बना रहना।
- स्पॉट रजिस्ट्रेशन का न होना ताकि लोग तुरंत ही जाकर वैक्सीन लगा सकें।
- कम होते केस के साथ-साथ लोगों के मन में डर का कम होना।
वैक्सीन लगाए अधिक लोग इसीलिए सरकार ने दी ये राय
वैक्सीनेशन में कमी होती देख कई राज्य सरकारों और स्वास्थ मंत्रालय द्वारा राय दी गई है कि हेल्थ वर्कर्स सामने आए और कोविड की वैक्सीन को लगवाएं। वैक्सीन को लेकर बढ़ती घबराहट को रोकने के लिए सरकार अलग-अलग कदम उठाती हुई नजर आ रही है। लोगों के बीच इस मैसेज को फैलाया जाए कि वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है। खुद सरकार ये कहती हुई पहली बार दिखी है कि आप कोरोना की वैक्सीन यदि लगवाएंगे तो आपको संक्रमण नहीं होगा और यदि आप वैक्सीन लगवाएंगे तो आपकी कोरोना के चलते मौत नहीं होगी। जो हेल्थ वर्कर्स सामने आकर वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं उनको लेकर सरकार का कहना कि समाज के प्रति वो अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं।
जानिए कैसे पैदा हुई ये परिस्थितियां
वैसे ये सभी परिस्थितियां तब पैदा हुई है जब भारत में 580 लोगों को टीका लगने के बाद एडवर्स इफेक्ट देखने को मिला था। भले ही 0.2 प्रतिशत लोगों में टीका लगने के बाद इस तरह की परेशानी देखने को मिली है। लेकिन सरकार के लिए ये मुसीबत इसके चलते खड़ी हो गई है।
भारतीय राज्यों में अब तक कोविड-19 के टीकाकरण की ये है परिस्थित
(तस्वीर सोर्स- बीबीसी)
बीबीसी के एक आर्टिकल के मुताबिक कई राज्यो में वैक्सीनेशन लगवाने वाले लोग पहले ही दिन टीकाकरण केंद्र पर नहीं पहुंचे थे। जोकि बहुत बड़ी लापरवाही है। लेकिन भारत सरकार के स्वास्थय मंत्रालय की माने तो किसी भी देश में टीकाकरण शुरु होने के बाद सबसे ज्यादा टीके पहले दिन भारत में लगे हैं। जोकि अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस से अधिक है।
जानिए क्या है एडवर्स इफेक्ट?
टीका लगने के बाद इंसान को किसी भी तरह के अनपेक्षित मेडिकल परेशानियों आती है उसे एडवर्स इफ़ेक्ट फ़ॉलोइंग इम्यूनाइज़ेशन कहा जाता है। ये परेशानी वैसे वैक्सीन की वजह से भी हो सकती या फिर उसकी प्रकिया की वजह से। ये वैसे तीन प्रकार की होती हैं- पहले मामूली, गंभीर और फिर बहुत गंभीर।
क्या-क्या चीजें होती है एडवर्स इफ़ेक्ट फ़ॉलोइंग इम्यूनाइज़ेशन में शामिल-
ये दिक्कते काफी मामूली होती है, जिन्हें माइनर एडवर्स इफेक्ट भी कहते हैं। इस मामले में किसी तरह का हमें दर्द होता है, इंजेक्शन जगह लगा हो वहां सूजन होती है, हल्का बुखार होता है, घबराहट, एलर्जी, रैशेज और बदन दर्द होने लगाता है।
क्या कोवैक्सीन और कोविशील्ड से होगा एडवर्स इफेक्ट?
- कोवैक्सीन में किसी तरह के गंभीर एडवर्स इफेक्ट तीनों चरणों में देखने को नहीं मिले हैं।
- इसका पूरा डेटा अभी नहीं आया है। तीसरे चरण में 25 हजार लोगों को ये वैक्सीन लगा है।
- कोवैक्सीन के जो हल्के लक्षण देखने को मिले हैं उनमें - हल्का बुख़ार, बदन में दर्द, रैशेज़, दर्द के अलावा इंजेक्शन वाली जगह पर सूजन देखने को मिली है।
जानिए क्या है कोविशील्ड का हाल?
कोवैक्सीन की तरह कोविशील्ड बिल्कुल भी नहीं है। कोविशील्ड वैक्सीन में कुछ एलर्जी के रिएक्शन और बुखार देखने को मिला था। 17 जनवरी को जो आकंड़े सामने आए हैं उसके मुताबिक हर राज्य के हाल कुछ इस तरह से हैं-
आप किस राज्य से ताल्लुक रखते हैं और क्या आपको फ्री में वैक्सीन लगेगी जानिए उसके बारे में यहां?
देखा जाए तो पश्चिम बंगाल, दिल्ली, पंजाब, बिहार, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और करेल में फ्री में कोरोना वैक्सीन देने का ऐलान किया गया है। लेकिन ये वैक्सीन फ्री में आने वाले चुनावों को देखकर दी जा रही है ऐसी भी कही न कही संभावना हो सकती है।
अब सरकार इतना कह ही रही है तो हो सकता है कि सभी अपनी जिम्मेदारी को समझदारी के साथ निभाना शुरु कर दें। वैसे क्या आपको पता है कि सबसे सस्ती और सबसे महंगी वैक्सीन आखिर कौन सी है जिन्हें आप खरीद सकते हैं? नहीं तो चलिए नजर डालते हैं वैक्सीन की रेट के प्रति डोज के हिसाब से यहां-
- बायोटेक वैक्सीन भारत खुराक फ्री में मुहैया करा रही है जिसके आधार पर प्रति डोज खुराक 206 रुपये आएगी।
- सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया 200 रुपये प्रति डोज के हिसाब से है।
- कोवीशील्ड की कीमत भारत में 210 रुपये है।
- मॉडर्ना की खुराक की कीमत 2348 रुपये से लेकर 2715 रुपये तक है।
- नोवावैक्स के टीके की कीमत 1114 रुपये है।
- स्पूतनिक-वी के टीके की कीमत 734 रुपये है।
- जॉनसन एंड जॉनसन के जरिए निर्मित टीके की कीमत 734 रुपये है।
- साइनोफोर्म वैक्सीन की कीमत 5650 रुपये से अधिक है।