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हमारी दुनिया में ऐसी बहुत सारी दुर्लभ चीज हैं इसके बारे में हमें पता नहीं होता है इनके बारे में जानने के बाद हम हैरान रह जाते हैं। आज हम बिहार के जमुई जिले के बारे में बता रहे हैं जहां पर एक गांव में खुदाई के दौरान तीन फीट ऊंची बेहद ही प्राचीन दुर्लभ मूर्ति पाई गई है जैसे ही मूर्ति सामने आई खबर पूरे गांव में फैल गई धीरे-धीरे लोग मूर्ति देखने चल पड़े इतना ही नहीं लोगों की भीड़ लग गई. ग्रामीण लोग इस मूर्ति को भगवान विष्णु की मूर्ति समझ कर पूजा करने लगे, लेकिन कई लोगों का कहना था कि यह देवी लक्ष्मी की मूर्ति है हालांकि बाद में पुरातत्व ने इसकी पहचान की.
आठवीं शताब्दी की होने का अनुमान
आपको बता दें कि डॉ. रविशंकर ने मूर्ति के प्रारंभिक काल 1500 से 1600 वर्ष प्राचीन काल की होने की संभावना जताई है. उन्होंने बताया कि भगवान सूर्य की दुर्लभ प्रतिमा आठवीं शताब्दी की होने का अनुमान है. उन्होंने बताया कि मुकुट पहने सूर्य की मूर्ति के दोनों हाथों में कमल के फूल की आकृति है और मूर्ति के पैरों में जूता है जो केवल सूर्य की मूर्ति में ही देखने को मिलता है.
दुर्लभ मूर्ति मिलने की सूचना
आपको बता दें कि भगवान सूर्य के दोनों ओर सेवक के रूप में दंड और पिंगल की मूर्तियां थीं. तालाब की खुदाई के दौरान अति प्राचीन दुर्लभ मूर्ति मिलने की सूचना जैसे ही गांव में फैली, पुलिस प्रशासन भी मूर्ति बरामद करने के लिए वहां पहुंच गया. प्रशासन इस दुर्लभ प्रतिमा को संग्रहालय में रखने की कोशिश कर रहा है लेकिन ग्रामीण प्रतिमा को गांव में स्थापित करने पर अड़े हुए हैं.
पुलिस प्रशासन ने उन्हें समझाने की काफी कोशिश की, लेकिन ग्रामीण आस्था से जुड़े इस मामले पर किसी की बात सुनने को तैयार नहीं हैं. ग्रामीणों के तेवर देख एसडीओ ने उन्हें काफी समझाया. गांव पहुंच कर उन्होंने किसी तरह उन्हें समझाया और प्रशासन से मूर्ति सौंपने की अपील की. उन्होंने ग्रामीणों को समझाया कि यह एक प्राचीन मूर्ति है और इसे इस संग्रहालय में रखा जाना चाहिए.
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