रामचरितमानस पर अखिलेश यादव का बड़ा बयान, कहा- मैं भी हर रोज भजन सुनता हूं

आरएसएस संघचालक मोहन भागवत के द्वारा दिए गए जाति व्यवस्था के बयान के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने पलटवार किया है. मौर्य ने कहा कि जाति-व्यवस्था को पंडितों ने बनाया है.

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रामचरितमानस पर जारी विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है. अब उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बयान दिया है. अखिलेश यादव ने कहा कि किसी को रामचरितमानस से शिकायत नहीं है, लेकिन जो गलत है वो गलत है. मैं भी हर रोज सुबह 1 घंटा भजन सुनता हूं. मुख्यमंत्री को तो सभी भजन याद होंगे. उनको सुनने की जरूरत नहीं है. भजन सुनने का वक्त भी उनको नहीं मिलता होगा. इस बीच मोहन भागवत ने जाति व्यवस्था पर बयान दिया है जिस पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने मोहन भागवत पर पलटवार किया.

स्वामी प्रसाद मौर्य ने मोहन भागवत पर किया पलटवार 

दरअसल आरएसएस संघचालक मोहन भागवत के द्वारा दिए गए जाति व्यवस्था के बयान के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने पलटवार किया है. मौर्य ने कहा कि जाति-व्यवस्था को पंडितों ने बनाया है. RSS प्रमुख भागवत ने यह कहकर धर्म की आड़ में आदिवासियों, महिलाओं, दलितों और पिछड़ों को गाली देने वाले धर्म के तथाकथित ठेकेदारों व ढोंगियों की कलई खोल दी. अब तो कम से कम रामचरितमानस से आपत्तिजनक टिप्पणी हटाने को आगे आएं. अगर ये बयान मजबूरी का नहीं है तो साहस दिखाएं और केंद्र सरकार से कहें. सिर्फ बयान देकर लीपापोती करने से बात नहीं बनेगी.

क्या बोले थे मोहन भागवत?

बता दें कि जाति पर छिड़े विवाद के बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि जाति भगवान ने नहीं, पंडितों ने बनाई है. भ्रमित हो गए हैं. भ्रम दूर करना जरूरी है. बता दें कि मुंबई में संत रविदास जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत पहुंचे थे. यहां उन्होंने जाति व्यवस्था पर उठे विवाद पर बयान दिया. संघ प्रमुख ने कहा कि जिस वर्ण व्यवस्था में हिंदू समाज बंटा है. दरअसल वो भगवान ने नहीं, पंडितों की बनाई हुई है जो कि गलत है. हिंदू समाज में जातिवाद को लेकर भ्रमित किया गया और इस भ्रम को दूर करना जरूरी है.

राम राम जपना पराया माल अपना; OP राजभर 

इसके अलावा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने स्वामी प्रसाद मौर्य पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि राम नाम जपना, पराया माल अपना. जब सत्ता में थे तो पिछड़ों की बात क्यों नहीं की? सत्ता से जाने के बाद पिछड़े याद आए हैं.

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