IMF: कोरोना की वजह से भयंकर मंदी की चपेट में अर्थव्यवस्था, अगले साल हो सकता है ऐसा हाल!

इस साल लगभग 90 मिलियन लोगों के गरीब होने की आशंका है। इस आपदा से वापस निकलने में अभी थोड़ा और समय लगेगा।

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हम सभी इस बात से वाक़िफ़ हैं कि दुनिया भर में फैले कोरोना वायरस ने लोगों का सुकून छीन लिया है। इस महामारी ने लोगों पर आर्थिक, शारीरिक और मानसिक हर तरह से प्रहार किया है। इस सब का नतीजा अभी कुछ दिनों पहले आयी GDP रिपोर्ट में भी देखने को मिल ही गया था। लेकिन ये बात भी सच है कि इस महामारी का असर सिर्फ़ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व पर पड़ रहा है सभी जगह मंदी आ गयी है। ये बात हम नहीं बल्कि मंगलवार को आयी आइएमएफ की रिपोर्ट कह रही है। रिपोर्ट में इस साल में आइ मंदी के बारे में बताया गया है।आइएमएफ के मुताबिक़ -4.4% की गिरावट हुई है। ये गिरावट सिर्फ़ महामारी के कारण ही हुई है।


वहीं दूसरी तरफ़ वर्ल्ड इकोनोमिक आउटलुक की रिपोर्ट में बताया गया जहां एक तरफ़ पूरा विश्व आर्थिक मंदी के दौर से गुज़र रहा है चीन तेज़ी से ऊपर की तरफ़ बढ़ रहा है यानि कि चीन की आर्थिक स्थिति में तेज़ी से सुधार हो रहा है।आइएमएफ की चीफ़ इकॉनमिस्ट गीता गोपीनाथन के मुताबिक़, संकट ख़त्म हो गया है लेकिन हमें मंदी का सामना करना पड़ेगा। जून में मिली जानकारी में अब 0.8 % का विकास हुआ है। ये संशोधन दूसरी तिमाही में कुछ परिणाम हुए उसके कारण आया है। इससे ये भी अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि तीसरी तिमाही स्थिति और बेहतर हो सकती है।लेकिन कुछ चीजों में थोड़ी गिरावट भी आई है।


2021  रिपोर्ट के अनुसार जून के बाद से थोड़ी तेज़ी देखी गयी है। -0.2 % के साथ बदलाव का अनुमान लगाया जा सकता है। इसमें कोई दोराय नहीं हैं कि महामारी ने स्थिति को बहुत ही गंभीर कर दिया था। साथ ही इसके साथ रहना लोगों के लिए बहुत हाई चुनौतीपूर्ण भी है। जिसने आर्थिक स्थिति पर काफ़ी प्रभाव डाला लेकिन सरकारों द्वारा दी गयी ढील आदि के बाद से तेज़ी से सब कुछ पटरी पर आता नज़र आ रहा है। सिर्फ़ भारत ही नहीं पूरी दुनिया में बदलाव हो रहा है। उन्होंने यें भी कहाकि अर्थव्यवस्था शुरुआती 6 महीनों में ही पटरी पर वापस आ रही है। 


लेकिन संकट अभी टला नहीं है। इस साल लगभग 90 मिलियन लोगों के गरीब होने की आशंका है। इस आपदा से वापस निकलने में अभी थोड़ा और समय लगेगा। जितना ज़्यादा हों सके मोनेटरी पॉलिसी आदि की दी हुई सुबिधा अभीवापस ना ली जाए। आइएमएफ ने बताया कि 2020 में लगभग -5.8 % की बढ़ोत्तरी का अनुमान है। इसके बाद 2021 में 3.9 % की वृद्धि हो सकती है। 


गोपीनाथ ने बताया कि सिर्फ़ चीन के अलावा पूरी दुनिया के देशों में गिरावट आई है। उन्होंने ये भी कहा इन सब से बचने के लिए सबसे पहले इस महामारी को ख़त्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक दूसरे के सहयोग की आवश्यकता है। दूसरा आर्थिक हानि को सीमित करने का प्रयास करना ज़रूरी है। आख़िर में उन्होंने कहा की किसी भी नीति को मज़बूत और न्यायसंगत और अर्थव्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए बनाना चाहिए।

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