1999 के छत्तीसगढ़ कोर्ट से जुड़े एक मामले में बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
1999 के छत्तीसगढ़ कोर्ट से जुड़े एक मामले में बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. वह 2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में इंदौर-1 सीट से बीजेपी के उम्मीदवार हैं। छत्तीसगढ़ के दुर्ग में एक न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अदालत ने विजयवर्गीय को 'भगोड़ा' घोषित कर दिया था और 2019 में उनके खिलाफ स्थायी गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. एक आपराधिक मामले में अदालत के नोटिस का बार-बार जवाब नहीं देने पर उनके खिलाफ यह कार्रवाई की गई थी.
गिरफ्तारी वारंट जारी
मामले में शिकायतकर्ता छत्तीसगढ़ के पूर्व महाधिवक्ता वरिष्ठ अधिवक्ता कनक तिवारी हैं. विजयवर्गीय करीब 10 साल बाद विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. उनके नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद अदालत के आदेश सोशल मीडिया पर सामने आए. रविवार को जब हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने दुर्ग कोर्ट में तिवारी की शिकायत के बारे में विजयवर्गीय से बात की तो उन्होंने कहा, मैं उन्हें जानता हूं. वह कांग्रेस नेता हैं. मुझे मामले की जानकारी नहीं है. मुझे कोई समन नहीं मिला.
मामले की जानकारी
हालांकि, विजयवर्गीय और कुछ अन्य लोगों ने मीडिया में एक बयान जारी कर उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया. उन्होंने मामले की जानकारी दी. तिवारी ने आगे कहा कि उन्होंने लोकायुक्त से भी शिकायत की, लेकिन कोई जांच नहीं हुई. उन्होंने कहा, मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि विजयवर्गीय ने चुनावी हलफनामे में इस मामले की जानकारी दी है या नहीं.