नवरात्रि के मौके पर कन्या पूजन का काफी महत्व होता है। कन्या पूजन के लिए अष्टमी और नवमी तिथि को ही खास माना जाता है। देवी भागवन पुराण के मुताबिक देवराज इंद्र ने जब भगवान ब्रह्माजी से भगवाती को प्रसन्न करने की विधि पूछी तो उन्होंने कन्या पूजन के बारे में बताया।
नवरात्रि के मौके पर कन्या पूजन का काफी महत्व होता है। कन्या पूजन के लिए अष्टमी और नवमी तिथि को ही खास माना जाता है। देवी भागवन पुराण के मुताबिक देवराज इंद्र ने जब भगवान ब्रह्माजी से भगवाती को प्रसन्न करने की विधि पूछी तो उन्होंने कन्या पूजन के बारे में बताया। यहीं वजह है कि तब से लेकर आज तक नवरात्रि की समाप्ति से पहले कन्या पूजन किया जाता है।
नवरात्रि की अष्टमी तिथि को महाष्टमी और दुर्गाष्टमी कहा जाता है। 21 अक्टूबर की रात 9 बजकर 54 मिनट पर अष्टमी तिथि रहने वाली है। अष्टमी के दिन कई घरों में कन्या पूजन किया जाता है।
क्या है कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
अष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07.51 से 10.41 तक, और दोपहर 01.30- दोपहर 02.55 तक है। वहीं महानवमी का शुभ मुहूर्त सुबह 06.27 से 07.51 और दोपहर का मुहूर्त दोपहर 1.30 से 02.55 तक है।
कन्या पूजन के लिए जरूरी चीजें और बातें-
1. जल- कन्याओं के पैर धोने के लिए साफ जल या फिर गंगाजल आप जरूर रखे।
2. साफ कपड़ा- कन्याओं के पैर को धोने के बाद उन्हें पोछने के लिए साफ कपड़े अपने पास रखें।
3. रोली- कन्याओं के माथे पर तिलक लगाने के लिए रोली जरूरी लें।
4. चावल- तिलक के साथ कन्याओं के माथे पर चावल भी लगाएं।
5. फूल- कन्या पूजा के दौरान कन्याओं पर फूल भी चढ़ाएं।
6. चुन्नी- पूजा में कन्याओं को चुन्नी भी उढ़ाई जाती है।
7. कलावा- कन्याओं के हाथों में फिर कलावा आप बांधे।
8. भोजन- कन्याओं के लिए खाने में हलवा, पूड़ी, चने आदि बनाइए।
9. फल- कन्याओं को श्रद्धानुसार आप फल खिलाए।
10. मिठाई- आप फल के साथ-साथ मिठाई भी दे सकते हैं।
भोजन के बाद अब कन्याओं को दक्षिणा दीजिए। इसके लिए आप इन सभी चीजों का पहले से ही इंतजाम कर लीजिए। कन्याओं को दक्षिणा देने से मां दुर्गा की खास कृपा आप सभी पर होती है।