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दोस्तों क्या आप जानते हैं, भारत में कितने शक्तिपीठ मंदिर है, और कहाँ कहाँ स्थित हैं. माता सती के अंग जहाँ जहाँ गिरे वहाँ शक्ति पीठ मंदिर बने. अब हम आपको बता दें कि माता सती कौन हैं. और कैसे बने शक्ति पीठ मंदिर. दोस्तों आदि शक्ति का ही एक रूप माता सती भगवान शिव की पत्नी और राजा दक्ष की पुत्री हैं. जब माता सती और भगवान शिव का विवाह हुआ तो राजा दक्ष इस शादी से खुश नहीं थे. विवाह के कई साल बाद राजा दक्ष ने एक यज्ञ किया था. यज्ञ में राजा दक्ष ने सभी देवी देवताओं को आमंत्रित किया लेकिन अपनी ही बेटी सती को न्योता नहीं दिया. पिता के घर से निमंत्रण न आने के बावजूद भी माता सती ने भगवन शिव के सामने मायके जाने की ज़िद की और वे यज्ञ में शामिल होने पिता के घर भी पहुँच गयी. जिसके बाद यज्ञ में राजा दक्ष ने भगवान शिव के लिए अपमान जनक बाते की, माता सती ये सब सह न सकी और उन्होंने अपने आप को यज्ञ की अग्नि में सौंप दिया. माता सती के अग्नि में कूदने की खबर सुन कर भोलेनाथ गुस्से से आग बबूला हो गए और दुःख में डूबे शिव जी माता सती के शरीर को लेकर चल पड़े, और विनाश नृत्य करने लगे. भगवन शंकर इतने ज्यादा दुखी थे कि वह किसी की सुन ही नहीं रहे थे. जिसके बाद विनाश नृत्य रोकने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र का इस्तेमाल करके माता सती के शरीर के टुकड़े किये, जहाँ जहाँ माता सटी के शरीर के अंग गिरे वह स्थान शक्ति पीठ गया. शक्ति पीठ के स्थानों और संख्याओं को लेकर ग्रंथों में अलग अलग बातें बातें कही गयी हैं.
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1. कश्मीर या अमरनाथ. जम्मू कश्मीर के अमरनाथ में माता सती का कंठ गिरा था.
2. दूसरे नंबर पे आता है. कात्यायनी। ये मथुरा और वृन्दावन के भूतेश्वर में यहाँ केशपाश गिरा था.
3. तीसरा है विशालाक्षी : जो कि उत्तर प्रदेश में वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर है. यहाँ दाहिने कान के मणि गिरे थे.
4. प्रयाग : जो कि उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में स्थित है. यहां माता की हाथ की अंगुलियां गिरी थीं.
5. ज्वालामुखी : यह हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित है. यहां सती माता का जिह्वा गिरी थी.
6. जालंध्र : जो कि पंजाब के जालंधर में है. यहां वामस्तन गिरा था.
7. देवीकूप पीठ कुरुक्षेत्र : हरियाणा के कुरुक्षेत्र के निकट द्वैपायन सरोवर के पास स्थित है. इसे श्रीदेवीकूप भद्रकाली पीठ के नाम से मान्यता है. यहां माता का दहिना चरण गिरा था.
8. मगध : बिहार की राजधानी पटना में स्थित पटनेश्वरी देवी को ही शक्तिपीठ माना जाता है. यहां माता की दाहिनी जंघा गिरी थी.
9. मानस शक्तिपीठ: तिब्बत के मानसरोवर तट पर स्थित है. माता की दाहिनी हथेली गिरी थी.
10. करवीर : महाराष्ट्र के कोल्हापुर में. माता का त्रिनेत्र गिरा था. यहां महालक्ष्मी का निज निवास माना जाता है.
11. जनस्थान : महाराष्ट्र में नासिक स्थित पंचवटी में. यहां माता की ठोड़ी गिरी थी.
12. अम्बाजी : गुजरात के बनासकांठा जिले में. यहां माता का दिल गिरा था. कुछ ग्रंथों में जूनागढ़ के गिरनार पर्वत के शक्तिपीठ होने और उदर गिरने की मान्यता है.
13. मणिवेदिका : राजस्थान के पुष्कर में. गायत्री मन्दिर के नाम से जाना जाता है. यहां कलाइयां गिरी थीं.
14. विराट का अम्बिका : जयपुर के वैराटग्राम में. यहां सती के 'दाएं पांव की अंगुलियां गिरी थीं.
15. गोदावरी तट : आंध्र प्रदेश के कब्बूर में गोदावरी तट पर. माता का बायां कपोल गिरा था.
16. शुचीन्द्रम : तमिलनाडु, कन्याकुमारी के त्रिसागर संगम स्थल पर, जहां सती के ऊर्ध्वदन्त गिरे थे.
17. श्री शैल : आंध्र प्रदेश के कुर्नूल के पास. माता की ग्रीवा गिरी थी.
18. कांची : तमिलनाडु के कांचीवरम में. यहां माता का कंकाल गिरा था.
19. कण्यकाश्रम कन्याकुमारी : तमिलनाडु के कन्याकुमारी के तीन सागरों हिन्द महासागर, अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी के संगम पर. यहां माता का पीठ मतान्तर से ऊर्ध्वदन्त गिरे थे.
20. किरीट : हुगली नदी के तट लालबाग कोट पर. यहां किरीट यानी शिरोभूषण या मुकुट गिरा था.
21. अट्टहास : लाबपुर में है. यहां नीचे का होंठ गिरा था.
22. नन्दीपुर : सैन्थया में है. यहां कण्ठहार गिरा था.
23. नलहटी : बोलपुर में उदरनली गिरी थी.
24. बहुला : कटवा जंक्शन के निकट केतुग्राम में है. यहां माता का वाम बाहु गिरा था.
25. त्रिस्तोता : जलपाइगुड़ी के शालवाड़ी गांव में तीस्ता नदी पर. यहां माता का वामपाद गिरा था.
26 . विभाष : मिदनापुर में है. यहां वाम टखना गिरा था.
27. युगाद्या : बर्दमान जिले के क्षीरग्राम में है. यहां सती के दाहिने चरण का अंगूठा गिरा था.
28. कालीघाट : कालीमन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है. यहां दाएं पांव का अंगूठा छोड़ 4 अन्य अंगुलियां गिरी थीं.
29. वक्रेश्वर : सिन्थेया में है. यहां मन गिरा था.
30. कामाख्या : गुवाहाटी का कामगिरि पर्वत. योनिदेश गिरा था.
31. जयन्ती : मेघालय की जयन्तिया पहाड़ी. वाम जंघा गिरी थी.
32. त्रिपुरसुन्दरी : त्रिपुरा के राध किशोर ग्राम में. जहां माता का दक्षिण पाद गिरा था.
33. विरजाक्षेत्र, उत्कल : उड़ीसा के पुरी और याजपुर में माना जाता है, जहां माता की नाभि गिरी थी.
34. वैद्यनाथ : झारखण्ड के गिरिडीह, देवघर में है. यहां माता का हृदय गिरा था. मान्यता है, यहीं सती का दाह-संस्कार हुआ था.
35. उज्जयिनी : मध्य प्रदेश के उज्जैन के क्षिप्रा के दोनों तटों पर. माता की कोहनियां गिरी थीं.
36. शोण : मध्य प्रदेश के अमरकंटक का नर्मदा मन्दिर. यहां माता का दक्षिण नितम्ब गिरा था. यह भी मान्यता है कि बिहार के सासाराम का ताराचण्डी मन्दिर ही शोण तटस्था शक्तिपीठ है.
37. लंका : श्रीलंका में है. यहां नूपुर गिरे थे. यह ठीक-ठीक ज्ञात नहीं है कि किस स्थान पर गिरे थे.
38. गण्डकी : नेपाल में गण्डकी नदी के उद्गम पर है. सती के कपोल गिरे थे.
39. गुह्येश्वरी : नेपाल के काठमाण्डू में पशुपतिनाथ मन्दिर के पास है. यहां दोनों घुटने गिरे थे.
40. हिंगलाज : पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में है. माता की ब्रह्मरन्ध्र गिरा था.
41. सुगंध : बांग्लादेश के खुलना में सुगंध नदी के तट पर है. यहां माता का नासिका गिरी थी.
42. करतोयाघाट : बंग्लादेश भवानीपुर के बेगड़ा में करतोया नदी के तट पर. माता का वाम तल्प गिरा था.
43. चट्टल : बंग्लादेश के चटगांव में. यहां दाहिनी भुजा गिरी थी.
44. यशोर: बांग्लादेश के जैसोर खुलना में. यहां बायीं हथेली गिरी थी.
45. श्री पर्वत शक्तिपीठ: कुछ विद्वानों का मानना है कि इस पीठ का मूल स्थल लद्दाख है, कुछ का मानना है कि यह असम के सिलहट में है.
46.पंच सागर शक्तिपीठ : इस शक्तिपीठ का कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है.
47. भैरव पर्वत शक्तिपीठ : कुछ गुजरात के गिरिनार के निकट भैरव पर्वत को तो कुछ मध्य प्रदेश के उज्जैन के निकट क्षिप्रा नदी तट पर इसे मानते हैं.
48. मिथिला शक्तिपीठ: नेपाल के जनकपुर, बिहार के समस्तीपुर और सहरसा में इसका स्थाना माना जाता है.
49. रत्नावली शक्तिपीठ: कहा जाता है कि तमिलनाडु के चेन्नई में कहीं स्थित है.
50. कालमाधव शक्तिपीठ : इस शक्तिपीठ के बारे कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है.
51.रामगिरि शक्तिपीठ : रामगिरि शक्तिपीठ कुछ लोग मध्यप्रदेश के मैहर में मानते हैं.
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