मासिक धर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिससे हर लकड़ी को गुज़ारना ही पड़ता है और ये जरुरी भी है। आमतौर पर मासिक धर्म 13-14 साल की उम्र की लड़की को होना शुरू हो जाते हैं। जिस तरह मासिक धर्म का शुरू होना एक आम बात है उसी तरह एक उम्र के बाद इसका बंद होना भी आम है और इस प्राकृतिक प्रक्रिया को मेनोपॉज कहा जाता है। ये प्रक्रिया आमतौर पर 45 वर्ष की उम्र के बाद ही होता है। मेनोपॉज एक प्राकृतिक प्रक्रिया है । अगर किसी महिला को लगातार 12 महीने तक मासिक धर्म नहीं होता है, तो ऐसा माना जाता है कि उसे मेनोपॉज हो गया है। जिस प्रकार मासिक धर्म शुरू होने से पहले महिलाओं को दिक्क़तें होती है उसी प्रकार जब मेनोपॉज होने वाला होता है तब भी महिलाओं के शरीर में कुछ बदलाव या फिर कुछ दिक्कतें होने लगती है। उनके साथ डील करना हर महिला के लिए बेहद मुश्किल होता है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं इस परेशानी का सामना कैसे किया जाये।
मेनोपॉज के तीन चरण
महिला के अंडाशय जब कम एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन बनाना शुरू करते हैं। तो ऐसे में पीरियड्स का समय निश्चित नहीं रहता ये कभी जल्दी आजाते हैं तो कभी देर से। फ्लो में भी बदलाव हो सकता है कभी ज्यादा हो सकता है तो कभी कम भी होता है। इन सब बदलावों के बाद मासिक धर्म पूरी तरह से बंद हो जाता है। यह काफी धीमी प्रक्रिया है ये एकदम से नहीं होती। आमतौर पर किसी महिला को तीन चरणों से गुजरना पड़ता है....
प्रीमेनोपॉज: मेनोपॉज होने से कई साल पहले प्रीरीमेनोपॉज प्रक्रिया शुरू हो जाती है। आमतौर पर इस प्रक्रिया में 3-5 साल का लगता है जब महिला के अंदर हार्मोन का स्तर कम होने लगता है। ज्यादातर महिलाएं 40 के आसपास इस चरण में प्रवेश करती हैं लेकिन कभी-कभी 30 की उम्र महिलाएं भी प्रीमेनोपॉज में प्रवेश कर जाती हैं।
मेनोपॉज: प्रीमेनोपॉज से लेकर मेनोपॉज तक की इस प्रक्रिया में किसी भी महिला को लगभग 2-3 साल लग सकते हैं। यदि किसी महिला को 12 महीने तक पीरियड्स नहीं आते हैं, तो वह इस चरण में प्रवेश कर चुकी है।
पोस्टमेनोपॉज: मेनोपॉज के बाद हर महिला इस चरण में प्रवेश करती है। इस चरण में महिला के शरीर में हार्मोन का स्तर लगातार कम होने लगता है और महिला गर्भ धारण करने में दिक्क्तें महसूस करती है।
मेनोपॉज के लक्षण
इन चरणों से गुजरना आसान नहीं है। महिलाएं कई तरह लक्षणों के से परेशान होती हैं। ज्यादातर महिलाएं निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव करती हैं:
- अनियमित पीरियड्स
- हॉट फ़्लैश
- रात में ज्यादा पसीना आना
- वेजाइना में ड्राईनेस
- वजन बढ़ना
-मानसिक स्वास्थ्य जैसे तनाव, चिंता और डिप्रेशन
- बार-बार पर कम पेशाब आने जैसी समस्याएं
- संक्रमण
- पेट के चारों ओर फैट बढ़ना
हृदय रोग: मेनोपॉज के कारण हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है, हार्मोन थेरेपी लेने से यह खतरा कम नहीं होता है।
स्तन कैंसर: मेनोपॉज के कारण स्तन कैंसर यानि ब्रैस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
इलाज
ये कोई बीमारी नहीं होती है । हालांकि, इसमें मानसिक और शारीरिक बदलाव शामिल होता है। इसके लिए आपको डॉक्टर से परामर्श लेनी चाहिए।
हार्मोन थेरेपी
नियमित व्यायाम करें
आराम और गहरी सांस लेने के अभ्यास करें
अपने आहार में ताज़े फल, सब्जियां और साबुत अनाज आदि शामिल करें
धूम्रपान न करें
शराब पीने की मात्रा कम करदें
अच्छी नींद लें
मेनोपॉज का कैसे सामना करें?
1- दवाएं: आपके लक्षणों को देखते हुए स्त्री रोग विशेषज्ञ कुछ दवाओं जैसे हार्मोन थेरेपी और योनि के सूखापन जैसे लक्षणों में आराम देने के लिए कुछ दवाएं लिख सकती हैं। यदि आप मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से निपट रहे हैं, तो कुछ एंटीडिप्रेसेंट भी डॉक्टर आपको लिख सकते हैं।
2- हॉट फ्लैश से निपटना: खूब पानी पिएं और मसालेदार खाने से बचें। ये समस्या शुरू होने पर धीरे-धीरे और गहरी सांस लें।
3- मेडिटेशन: मेडिटेशन या व्यायाम आपके मानसिक स्वास्थ्य को और बेहतर बना सकता है। ऐसे समय में खुद को खुश रखना बेहद जरूरी है।
4- शारीरिक व्यायाम: मेनोपॉज के कारण आपका वजन भी बढ़ने लगता है क्योंकि आपका मेटाबोलिज्म उम्र के साथ घटने लगता है। नियमित शारीरिक व्यायाम जैसे दौड़ना, चलना, योग आदि आपको स्वस्थ और आपकी हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
5- सोने का समय निश्चित करें: आमतौर पर मेनोपॉज के समय लोगों को नींद नहीं आती है। हार्मोन में बदलाव और मूड स्विंग से नींद की कमी हो सकती है। इसे नियमित करने के लिए अंधेरे कमरे में सोएं, सोने से पहले थोड़ा ध्यान लगाकर अपने दिमाग को शांत करें। सोने से पहले मोबाइल का उपयोग करने से बचें।
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