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मानसिक स्वास्थ्य और शक्ति के बीच क्या है अंतर, जानिए कैसे रखना होगा इसका ख्याल

खुद को यानि मन को शांत रखने की कोशिश करें, इसके लिए सोने से पहले नहा सकते हैं, खाने के बाद टहल सकते हैं आदि।

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By Anshita Shrivastav | लाइफ स्टाइल - 17 October 2020

बहुत से लोग इस बात को समझने में कई बार कंफ्यूज हो जाते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य यानि मेन्टल हेल्थ क्या होती है और मेन्टल स्ट्रेंथ क्या होती है।  जिसके चलते हम दोनों ही चीज़ों को बेहतर बनाने के बीच उलझे रहते हैं। जबकि यहां समझने वाली बात है कि ये दोनों अलग होकर भी एलक दुसरे से जुड़े हुए हैं। अब आप सोच रहे होंगें कैसे? तो हम आपको बता दें कि मानसिक स्वास्थ्य से आपका दिमाग स्वस्थ और तंदरुस्त रहता है जिससे आपके सोचने समझने और किसी काम को करने की क्षमता बढ़ जाती है। लेकिन मानसिक शक्ति आपको किसी भी कठिन परिस्थिति में कैसे काम करना है ये सिखाती है। लेकिन अगर हम अपने दिमाग को तंदरुस्त रखेंगें तो कहीं न कहीं उसे मजबूत भी बना ही सकेगें। इसके लिए आपको कुछ व्यायाम करने की जरूरत होगी।  लेकिन उससे पहले हम आपको बताएंगें मानसिक शक्ति और मानसिक स्वास्थ्य में अंतर। 


मानसिक शक्ति 


मानसिक शक्ति यानि कि बहुत ही सूझ बूझ के साथ शांति से किसी भी कठिन परिस्थिति का सामना करने की क्षमता होती है, जब भी आपके जीवन में  कोई ऐसी परेशानी आ जाती है जब आप कहीं फस जाते हैं तब आपकी मानसिक शक्ति ही आपको उस स्थिति से निपटने में मदद करती है।


मानसिक स्वास्थ्य 


मानसिक स्वास्थ्य का मतलब आपका दिमाग कितना हैल्थी है। क्योंकि दिमाग हैल्थी होगा तभी तेज़ चलेगा आपको डिप्प्रेशन आदि बीमारियां नहीं होगीं।


मानसिक शक्ति तीन प्रकार की होती है 


सोच- यह आपको सकारत्मक बनाती है। जब आप खुद में जरूरत से ज्यादा कमियां ढूंढ रहे होते हैं तो ये आपको आपकी अच्छाइयां याद दिलाती है।


महसूस करना- ये आपको चीज़ों को मह्सूस करना सिखाती है। जो कि किसी भी स्थिति से निपटने के लिए बहुत जरुरी है।


कोई काम करना-  सही समय पर सही कदम उठाने की प्रेणना देती है। इसके जरिये आप अपना ख्याल रख पाते हैं।


कैसे करें मजबूत? 


1.डू ग्रेटीट्यूड जर्नल- यह आपके पॉजिटिव सोच को और मजबूत करता है।


2. खुद पर विश्वास -  ये सबसे बेहतर तरीका है, इसके जरिये आप खुद को खोने से बचेंगें जब भी आप खुद में कमियां ढूंढेंगे तो ये आपको आपकी अच्छाइयां याद दिलाएगा।


3. पॉजिटिव सोचें- जब आपको ऐसा लगने लगे कि सभी चीज़ें गलत हो रही हैं, तो उसका कारण पता लगाएं कि इसे सही कैसे किया जा सकता है।


इमोशनल व्यायाम 


1. अपनी भावनाओं को समझ कर उन्हें तर्कसंगत बनाएं।


2. हर समय नेगेटिव न सोचें


3. गहरी साँस लेने के अभ्यास करें


व्यवहारिक अभ्यास


1. आप ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ बातचीत करें।


2. खुद को यानि मन को शांत रखने की कोशिश करें, इसके लिए सोने से पहले नहा सकते हैं, खाने के बाद टहल सकते हैं आदि।





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