श्री कृष्ण के बिना राधा अधूरी है और राधा के बिना कान्हा। ऐसे में जन्माष्टमी के बाद लोग राधा अष्टमी की तैयारी में जुट जाते हैं। जन्माष्टमी के 14 या फिर 15 दिन बाद राधा अष्टमी का त्योहार काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। जो लोग जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण की पूजा करते हैं उन्हें राधा अष्टमी का भी त्योहार मनाना चाहिए। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक इस साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 सितंबर मंगलवार को रात 11 बजकर 11 मिनट से शुरू हो रही है। इस तिथि का समापन 11 सितंबर बुधवार को रात 11 बजकर 46 मिनट पर होगा। ऐसे में 11 सितंबर के दिन ही राधा अष्टमी का त्योहार मनाया जाने वाला है।
राधा अष्टमी की पूजा के लिए आपको 2 घंटे 29 मिनट का शुभ वक्त प्राप्त होगा। जो लोग व्रत रखेंगे, वो दिन में 11 बजकर 03 मिनट से दोपहर 1 बजकर 32 मिनट तक राधा अष्टमी की पूजा आप कर सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि राधा अष्टमी वाले दिन पूजा दोपहर में की जाती है। राधा अष्टमी के दिन 2 शुभ योग बन रहे हैं। प्रीति योग सुबह से लेकर रात 11 बजकर 55 मिनट तक बन रहेगा। वहीं, योग का निर्माण रात में 9 बजकर 22 मिनट पर होगा और अगले दिन 12 सितंबर को सुबह 6 बजकर 5 मिनट तक रहेगा।
राधा के नाम के बिना कृष्ण की पूजा अधूरी
ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद पाने के लिए आपको राधा जी की पूजा जरूर करनी चाहिए। राधा जी के नाम जपने से ही भगवान श्री कृष्ण काफी खुश हो जाएंगे। राधा अष्टमी के अवसर पर व्रत और पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। राधाकृष्ण के आशीर्वाद से सभी दुख दूर होते हैं।
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