Story Content
काबुल हवाईअड्डे पर हुए विस्फोटों में कम से कम 72 अफगानी मारे गए हैं. मरने वालों में 13 अमेरिकी सैनिक भी शामिल हैं. इन हत्याओं की जिम्मेदारी आईएसआईएस आतंकवादी समूह ने भी ली है. अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाले तालिबान ने एक ट्विटर पोस्ट के जरिए इस घटना की निंदा की थी. इसने यह भी कहा कि अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात "अपने लोगों की सुरक्षा की बारीकी से निगरानी कर रहे थे, वहीं, रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया कि अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि इस घटना के लिए इस्लामिक स्टेट का अफगान सहयोगी इस्लामिक स्टेट खुरासान (ISIS-K) जिम्मेदार है. ISIS-K को तालिबान का बड़ा दुश्मन माना जाता है. कहा जाता है कि अफगानिस्तान पर विद्रोहियों के कब्जे के बाद मची उथल-पुथल के बीच देश की जेलों में बंद कई अहम कैदियों को रिहा कर दिया गया. अब हम जानते हैं कि आईएसआईएस-के क्या है और यह अफगानों के लिए क्या खतरा है.
आईएसआईएस-के कौन है?
आईएस आतंकी समूह के सहयोगी आईएसआईएस-के ने कभी उत्तरी सीरिया और इराक के बड़े इलाकों पर कब्जा कर लिया था. 2015 में स्थापित, संगठन ज्यादातर पूर्वी अफगानिस्तान में संचालित होता है. इन क्षेत्रों में से एक को खुरासान प्रांत कहा जाता है. इस समूह में लड़ाकों की संख्या 2,200 से अधिक मानी जाती है और अमेरिकी सैनिकों के देश छोड़ने के बाद से यह आंकड़ा बढ़ रहा है.
नागरिकों के लिए बड़ा खतरा
सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के अनुसार, 2015 और 2017 के बीच, ISIS-K ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान में नागरिकों पर 100 हमले किए. इस दौरान अमेरिकी, पाकिस्तानी और अफगान सैनिकों पर करीब 250 हमले हो चुके हैं. तब से इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. ITV न्यूज ग्लोबल सिक्योरिटी एडिटर रोहित काचरू का कहना है कि ISIS-K अफगानिस्तान के खुरासान क्षेत्र में 6 साल से काम कर रहा है. इसने 'नागरिकों पर सैकड़ों हमले' किए हैं.
Comments
Add a Comment:
No comments available.