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कहते है जिनके दिल मिले होते है न उनका कोई भी परेशानी कुछ भी नहीं बिगाड़ पाती। इसका सबसे बेहतरीन और शानदार उदाहरण हमें हाल ही में उत्तर प्रदेश में देखने को मिला। जहां एक युवक ने शादी से पहले एक हादसे का शिकार हुई अपने मंगेतर को अपनाकर समाज के सामने प्यार और विश्वास की एक नई मिसाल पेश की। दरअसल हुआ ये था कि उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिसे के कुंडा इलाके की रहने वाली आरती मौर्य की शादी पास के ही गांव के अवधेश संग तय हुई थी। उसकी 8 दिसंबर के दिन बारात आनी थी। उस वक्त दोनों ही घरों में खुशी का माहौल था और शहनाइयां बज रही थीं। उसकी वक्त दोपहर 1 बजे के करीब एक छोटे बच्चे को बचाने के चलते दूल्हन आरती का पैर फिसल गया और वो छत से नीचे गिर गई। इस हादसे में उसकी रीढ़ की हड्डी पूरी तरह टूट गई। इतना ही नहीं कमर और पैर के साथ-साथ शरीर के दूसरे हिस्सों में भी चोट आई। बिना देरी करे इसके बाद उसे प्रयागराज के एक निजी अस्पताल में ले जाया गया।
डॉक्टरों ने जब आरती को देखा तो ये बताया कि फिलहाल वो अपंग हो गई है और कई महीने तक बिस्तर से नहीं उठ सकेगी। उस वक्त आरती के घरवालों और दूसरे लोगों को लगा कि लड़के वाले अब शादी तोड़ देंगे। ऐसा उन्हें इसीलिए लग रहा था क्योंकि इलाज के बावजूद उसके पूरी तरह ठीक होने की उम्मीद थोड़ी कम थी। हालत को देखते हुए परिवार वालों ने दूल्हे अवधेश और उसके घरवालों को दुल्हन आरती की छोटी बहन से शादी का प्रस्ताव तक दिया।
लेकिन आरती को अपना दिल दे चुके अवधेश ने कहा कि वो इस हालत में भी आरती से ही शादी करेगा और उसकी मांग भरेगा। अवधेश ने कहा भले उसे अस्पताल के बेड पर जाकर ऑक्सीजन सपोर्ट सिस्टम के सहारे इलाज करा रही आरती की मांग ही क्यों न भरनी पड़े, लेकिन शादी नहीं रुकेगी। अवधेश की जिद के चलते डाक्टरों की टीम से परमीशन लेकर आरती को दो घंटे बाद एम्बुलेंस से वापस घर लाया गया। उसे स्ट्रेचर पर आराम से लिटाकर शादी की रस्में अदा की और उसकी मांग भरी गई।
इसके बाद आम दुल्हनों की तरह आरती की भी विदाई हुई। फर्क सिर्फ इतना था कि ससुराल जाने के बजाय वो वापस अस्पताल लाई गई। अगले दिन होने वाले ऑपरेशन के फार्म पर खुद अवधेश ने पति के तौर पर साइन किया। वैसे एक बात तो किसी ने सही कही है कि जोड़ी ऊपर वाला बनाता है और उस रिश्ते को निभाने की हिम्मत भी वो दोनों को देता है।
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