एक बार फिर से किसान आंदोलन ने जोर पकड़ लिया है किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर कानून बनाने की मांग पर अड़े हुए हैं।
एक बार फिर से किसान आंदोलन ने जोर पकड़ लिया है, किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर कानून बनाने की मांग पर अड़े हुए हैं। इसी के साथ किसानों के 'दिल्ली चलो मार्च' को आज पांचवा दिन हो चुका है प्रदर्शन करने वाले ज्यादातर किसान पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से हैं। इतना ही नहीं संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से यह कहा गया है कि, वह किसानों के विरोध के बाद आने वाले दिनों में आंदोलन तेज कर देंगे।
हर दिन हो रहा है बड़ा नुकसान
बता दें कि, एक तरफ किसान जहां दिल्ली आने को बेताब हुए हैं वहीं दूसरी तरफ सरकार भी शंभू बॉर्डर पर किसानों को रोकने की हर मुमकिन कोशिश में लगी हुई है। एक बात तो तय है किसान दिल्ली पहुंचे या ना पहुंचे, इस पूरे मामले से उत्तर भारतीय राज्यों की इकोनॉमी पर बुरा प्रभाव देखने को मिल रहा है, हर दिन 500 करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ रहा है। इतना ही नहीं इस संबंध में पीएचडी चैंबर आफ कमर्स एंड इंडस्ट्री ने अध्ययन करके बताया है कि, यदि किसान आंदोलन लंबा चला तो उत्तरी राज्यों में बिजनेस और इंडस्ट्रीज को नुकसान पहुंचेगा।
रोजाना 500 करोड़ का नुकसान
बता दें कि इंडस्ट्री चैंबर का यह कहना है कि, किसान आंदोलन के कारण रोजगार में भारी नुकसान होने की आशंका है। इतना ही नहीं हर रोज 500 करोड़ रुपए से भी ज्यादा की इकोनॉमी का नुकसान होगा। पीएचडी चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने यह बताया है कि, "लंबे समय तक चलने वाले आंदोलन से उत्तर भारत के राज्यों को प्रतिदिन 500 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान होगा इसमें मुख्य तौर पर पंजाब, हरियाणा और दिल्ली राज्य शामिल है। इस आंदोलन का असर सभी राज्यों के जनवरी से मार्च तिमाही के सकल राज्य घरेलू उत्पाद पर होगा।