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मोहनजोदड़ो से संबंधित आपने कई किस्से कहानियां सुनी होगी. ये भी सुना होगा कि यह सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे परिपक्व शहर था. यह कितना सुनियोजित बसा हुआ था. खुदाई के दौरान शहर को देखकर मुश्किल नहीं था कि मोहनजोदड़ों को बेहद आधुनिक नजरिए के तहत बसाया गया था. मोहन जोदड़ो शब्द का सही उच्चारण है 'मुअन जो दड़ो'. जिसका सिन्धी भाषा में अर्थ है 'मुर्दों का टीला'. लेकिन क्या आपको मालूम है कि आज हम जो ज़िंदगी जी रहे है इससे बेहतर और सभ्य जिंदगी 8000 साल पहले सिंधु सभ्यता में लोग जी रहे थे. वो ऐसी जिंदगी थी जो काफी सभ्य, स्वच्छ और बेहतरीन हुआ करती थी. इस बात की जानकारी हमें करीब 100 साल पहले हुई एक खुदाई के बाद हुई थी.
मोहनजोदड़ो है सिंधु घाटी का प्रमुख शहर
बता दें कि कई मोहनजोदड़ो दुनिया के प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख शहर रहा है. इसके साथ ही मोहनजोदड़ो योजनाबद्ध तरीके से बनाया गया एक ऐसा शहर था जो शानदार और बेहतरीन था. पुरातत्व विभाग की सभी खोजों में से एक था. सिंधु सभ्यता को हड़प्पा संस्कृति भी कहा जाता है. इस सभ्यता की कई ऐसी ख़ासियत है जिनके बारे में आप सब शायद ही जानते होंगे.
सिंधु घाटी से जुड़े तथ्य
सबसे पहले सिंधु सभ्यता की खोज रायबहादुर दयाराम साहनी नामक एक हिन्दुस्तानी ने की थी.
एक अनुमान के अनुसार, इस सभ्यता के मुख्य निवासी द्रविड़ और भूमध्यसागरीय थे.
इतिहासकारों ने सिंधु सभ्यता को प्रागैतिहासिक काल में रखा है.
मोसोपोटामिया यानि मिस्त्र की सभ्यता के अभिलेखों में वर्णित मेलूहा शब्द का अभिप्राय सिंधि सभ्यता से ही है.
अभिलेखों के आधार पर सिंधु सभ्यता के 6 बड़े नगर थे. जिनके नाम मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, गणवारीवाला, धौलवीरा, राखीगढ़ और कालीबंगन था. इनके अलावा कई उपनगर भी थे जिनका कोई उल्लेख नहीं पाया गया है.
सिंधु घाटी की विशेषताएं कुछ इस प्रकार है-
खुदाई में प्राप्त अवशेषों के आधार पर अनाज के कुछ अवशेष भी पाए गए हैं. उस आधार पर कहा जा सकता है कि सिंधु सभ्यता की मुख्य फसलें थी गेहूं और जौ.
यातायात के लिए सिंधु सभ्यता के लोग बैलगाड़ी और भैंसागाड़ी का इस्तेमाल करते थे. खुदाई में इनके पहिए भी मिले थे. इसके अलावा बच्चों के खिलौनों में बैलगाड़ी के रुप भी थे..
सिंधु सभ्यता के लोग मौसम के अनुसार कपड़े पहनते थे. वे सूती और ऊनी वस्त्रों का इस्तेमाल करते थे.
सिंधु सभ्यता के लोगों के घरों की नालियां ढ़ांचागत तरीके से सड़कों के नीचे होती थीं. घर के दरवाजे पीछे की ओर खुलते थे.
यहां बने घरों में पक्की ईंटों से बने स्नानघर और शौचालय थे.
सिंधु सभ्यता के लोग मिठास के लिए शहद का इस्तेमाल करते थे.
सिंधु सभ्यता और उपासना
सिंधु सभ्यता के लोग प्रकृति से बेहद प्रेम करते थे. इस वजह से वे पेड़, हवा और नदियों की पूजा करते थे.
सिंधु सभ्यता के लोग धरती को उर्वरता की देवी मानते थे और पूजा करते थे.
स्वास्तिक चिन्ह हड़प्पा सभ्यता की ही देन है. इससे सूर्य उपासना का अनुमान लगाया जा सकता है.
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