आपसी भाईचारे की दी मिसाल, हिन्दू महिला के कारण पढ़ सकें 550 बच्चे

भारत के नागरिकों के भाईचारे की मिसाल पूरी दुनिया में दी जाती है. ऐसा ही किस्सा हम आपको बताने जा रहे है जिसको पढ़कर आपका दिल और दिमाग भी कहेगा कि भारत यहां दिखाई देता हैं.

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भारत एक धर्मनिरपेक्ष  देश है. जहां पर हर धर्मों को मानने वाले लोग रहते है. हिन्दु, मुस्लिम, सिख और इसाई हर धर्म के लोग यहां साथ रहकर खुशियां बाटते है क्योंकि भारत के सविधान में हर नागरिक को समानता का अधिकार प्राप्त है. वही भारत के नागरिकों के भाईचारे की मिसाल पूरी दुनिया में दी जाती है. ऐसा ही किस्सा हम आपको बताने जा रहे है जिसको पढ़कर आपका दिल और दिमाग भी कहेगा कि भारत यहां दिखाई देता हैं. 

यह कहानी है त्रिपुरा के उनाकोटी ज़िले के एक गांव की जहां का मुस्लिम समुदाय एक स्कूल का नाम हिन्दू  महिला  के नाम पर रखना चाहते थे. इस गांव काम है जुबराजनगर जो पूरी तरह मुस्लिम बहुल थे.

अपनी जमीन पर बनाया स्कूल

जुबराजनगर एक मुस्लिम बहुल गांव है. यहां सुमति सूत्रधार ही एक ऐसी महिला थी, जो हिन्दू धर्म की थी. साल 1999 में अपने पति की मौत के बाद उन्होंने अपनी  ज़मीन शिक्षा विभाग को देने का फैसला किया था. इस वजह से यहां के बच्चों की पढ़ाई हो रही थी. शुरुआत  में कुछ मुस्लिमों ने उनकी ज़मीन पर बनने वाले स्कूल का विरोध किया था लेकिन 17 सालों में यहा से 550 से ज्यादा छात्राएं पढ़ चुकी थी.

इतना ही नहीं सुमति सूत्रधार इसी स्कूल में एक छोटे से कमरे में रहती थी. सुमति के इस नेक कामों की वजह से गांव वाले चाहते हैं कि उन्होंने अपनी ज़मीन दान देकर गांव की बच्चियों का भविष्य सुधारा है इसलिए इस स्कूल का नाम सुमति सूत्रधार के नाम पर रखा गया था. 

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