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हिंदूओं का बेहद ही पवित्र त्योहार माना जाता है नवरात्र जोकि देश के हर कोने में बेहद ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार को मनाने की अपनी अलग-अलग वजहे हैं। क्या आपको ये पता है कि हिंदू पंचांग के अंदर पूरे पांच नवरात्र आते हैं- चेत्र, आषाढ़, आश्विन, पौष और माघ। कई घरों में तो अभी से माता रानी के आगमन की तैयारी हो गई है। नौ दिन तक चलने वाले इस त्योहार में कई घरों के अंदर माता रानी की चौकी लगाई जाती है। इस बार के नवरात्र इसीलिए भी खास है क्योंकि ये पृत पक्ष के ठीक एक महीने बाद शुरु हो रहे हैं। आइए हम आपको बताते हैं अक्टूबर के महीने से शुरु होने वाले इस पवित्र त्योहार से जुड़ी हर खास बातों के बारे में यहां।
नवरात्र की शुरुआत इस बार 17 अक्टूबर से होने वाली है। वहीं, 25 को नवरात्र की पूजा का आखिरी दिन होगा। वहीं, 25 और 26 को विजयदशमी है जिसे दशहरा के नाम से भी कुछ लोग जानते हैं। इन पूरे 9 दिन अलग-अलग देवियों की पूजा की जाती है जिनके नाम हैं- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री। इन देवियों की पूजा के अलग-अलग मयाने और कथा हैं।
कब से शुरु हो रही है दुर्गा पूजा
वहीं, पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा का अपना महत्व है। 5 दिन तक ये त्योहार मनाया जाता है। ये 22 अक्टूबर से लेकर 25 अक्टूबर तक चलने वाला त्योहार है। इस दिन बंगाली मां दुर्गा की विजय को मनाते हैं जोकि उन्होंने राक्षस महिषासुर पर प्राप्त की थी।
मुहूर्त और तारीख
द्रिक पंचांग के मुताबिक इस बार अष्टमी की तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर सुबह 06:57 पर है। वही, ये खत्म 24 अक्टूबर की सुबह 6: 58 पर है। संधि पूजा मुहूर्त सुबह 6:34 से लेकर 7: 22 मिनट तक है।
कलश स्थापना का मुहूर्त
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6: 27 से लेकर 10: 13 तक रहने वाला है। अभिजीत मुहूर्त कैलश स्थापना के लिए सुबह 11: 44 मिनट से लेकर दोपहर 12: 29 तक रहने वाला है।
पूजा के लिए किन सामग्री की है जरूरत
पूजा के लिए आपको लाल रंग की चुनरी, दीया, घी, मिचास, चौकी, नारियल, चावल, कलश, कुमकुम, फूल, धूप, अगरबत्तियां, फूल की माला, माता रानी की मूर्ति या फिर फोटो, पान, सुपारी, लाल झंडा, लौंग-इलायची, बताशे, कलावा, फल और मिठाई या ड्राई फ्रूट आदि की जरूरत होगी।
कैसे करें कलश की स्थापना
सबसे पहले एक बर्तन लें और उसमे मिट्ठी डाल लें। इसके बाद उसमे बीज डालकर थोड़े से पानी का छिड़काव कर लें। बर्तन पर स्वस्तिक बनाएं। मोली और कलावे को उस पर बंधे। ये सब हो जाने के बाद कलश को गंगा जल और शुद्ध पानी के साथ भर लीजिए। इसके बाद सुपारी, फूल और दूर्व का इस्तेमाल करें।
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