सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के फैसले में कहा था कि यह अधिनियम भारतीय राजनीति की धर्मनिरपेक्ष विशेषताओं की रक्षा करता है, जो संविधान की बुनियादी विशेषताओं में से एक है.
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को कहा कि ज्ञानवापी-शृंगार गौरी परिसर में कुछ इलाकों के सर्वेक्षण पर अदालत का हालिया आदेश "रथ यात्रा के रक्तपात और 1980-1990 के दशक की मुस्लिम विरोधी हिंसा का रास्ता खोल रहा है".
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वाराणसी की अदालत के आदेश की निंदा करते हुए, असदुद्दीन ओवैसी ने एक ट्वीट में कहा, "काशी की ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण करने का यह आदेश 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का खुला उल्लंघन है, जो धार्मिक स्थलों के रूपांतरण पर रोक लगाता है."
This order to survey Kashi’s Gyanvapi Masjid* is open violation of 1991 Places of Worship Act, which prohibits conversion of religious places. SC in Ayodhya judgement had said the Act protects “secular features of Indian polity which is 1 of basic features of Constitution”1/2 https://t.co/ed5yyS9ieL
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) May 7, 2022
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असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, " सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के फैसले में कहा था कि यह अधिनियम भारतीय राजनीति की धर्मनिरपेक्ष विशेषताओं की रक्षा करता है, जो संविधान की बुनियादी विशेषताओं में से एक है."