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महाशिवरात्रि पर महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल बने दूल्हे आइए जानते है इस अलौकिक शृंगार का महत्व

महाशिवरात्रि के अगले दिन ही भगवान महाकाल को सेहरा सजाकर दूल्हे के रुप में शृंगार कराया गया है। भगवान महाकाल का ऐसा शृंगार साल में एक बार होता है, उनके ऐसे मनमोहक स्वरुप को देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्त आए हैं।

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By Nisha Bhisht | Faridabad, Haryana | खबरें - 27 February 2025

 महाशिवरात्रि के अगले दिन ही भगवान महाकाल को सेहरा सजाकर दूल्हे के रुप में शृंगार कराया गया है। भगवान महाकाल का ऐसा शृंगार साल में एक बार होता है, उनके ऐसे मनमोहक स्वरुप को देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्त आए हैं।



उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में बाबा महाकाल को महाशिवरात्रि के दूसरे दिन दूल्हे की तरह सजाया जाता है। भगवान महाकाल को देश-विदेश के फूलों, बेल पत्र, अलग-अलग धान और अलग-अलग समग्रीयों के उपयोग से दूल्हे की तरह सजाय गया है।



महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित राम ने बताया कि महाशिवरात्रि से पहले शिव नवरात्रि का उत्सव मनाया जाता है। भगवान महाकाल के सेहरे की आरती के दर्शन करने के लिए शिव भक्त दूर-दूर से यहां आते हैं।



मान्यताओं के अनुसार भगवान महाकाल के दूल्हे स्वरुप के दर्शन करने से भक्तों के जीवन के सभी कष्ट दूर होते है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि भगवान महाकाल के सेहरे की सजावट के लिए पंडित और पुरोहितों को कई घंटे लगाते है सबसे पहले भगवान को गर्म जल से स्नान करवाकर दूध, दही, शहद, शक्कर, घी आदि पंचामृत से स्नान कराया गया और प्रथम घंटाल बजाकर हरि ओम का जल अर्पित किया जाता है। पंचामृत पूजन के बाद भगवान महाकाल का पूजन सामग्री से आकर्षक स्वरूप में श्रृंगार किया गया है।



महाशिवरात्रि के अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में भस्म आरती नहीं की जाती। पहले भगवान महाकाल सभी भक्तों को दूल्हे के रुप में दर्शन देते है फिर दोपहर 12:00 पर भस्म आरती की जाती है।



आज दोपहर 12:00 बजे को भस्म आरती की जाएगी, जिसके बाद महाशिवरात्रि का महाकालेश्वर मंदिर में समापन होगा।

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