विश्व स्वास्थ्य संगठन भारत के कोरोना वैरिएंट B.1.167 को इन सब में सबसे घातक बता रहा है. संगठन का कहना है कि यह पूरी दुनिया के लिए बहुत घातक है.
साल 2020 से पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रहे कोरोना वायरस में अब कई तरह के बदलाव दर्ज किए जा चुके हैं जो पूरे विश्व में आतंक का कारण बन रहा है. ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के वेरिएंट ने भी दुनिया के कई देशों में अपनी मौजूदगी भी दर्ज काई है, लेकिन अब विश्व स्वास्थ्य संगठन भारत के कोरोना वैरिएंट B.1.167 को इन सब में सबसे घातक बता रहा है. संगठन का कहना है कि यह पूरी दुनिया के लिए बहुत घातक है.
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सख्ती से करना होगा कोविड नियमों का पालन
आपको बता दें कि पिछले कुछ दिनों से विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों की एक टीम वायरस के इस वेरिएंट की रिसर्च करने में जुटी हुई है. इनमें वे क्षेत्र शामिल हैं जहां यह फैल रहा है. संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों की टीम का कहना है कि इस वैरिएंट पर वैक्सीन की प्रभावशीलता पर भी शोध किया जा रहा है. इन विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञ ने कहा कि आने वाले दिनों में दुनिया भर में नए वेरिएंट आ सकते हैं. इनमें से कुछ अधिक चिंता का कारण भी हो सकते हैं. इसे रोकने के लिए, उनके संक्रमण को रोकने के लिए युद्धस्तर पर काम करना होगा. इसके साथ यह भी कहा जा रहा है कि इसकी रोकथाम के लिए कोविड -19 के लिए बनाए गए नियमों को और अधिक कड़ाई से अपनाना होगा.
दूसरे वेरिएंट से ज्यादा घातक है ये B .167 वेरिएंट
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पाए गए कोरोना वायरस के ये घातक वेरिएंट बहुत तेज़ी से फैलता हैं. संगठन ने इसमें हो रहे बदलावों पर भी अपनी चिंता व्यक्त की है. संगठन की एक्सपर्ट डॉ मारिया वान कर्कहोवे ने कहा है कि B.167 वेरिएंट की शुरुआत भारत में शुरू हो चुकी है और इसकी संक्रमण की गति अन्य वेरिएंट की तुलना में बहुत तेज है. वर्तमान वर्ष में यह वेरिएंट भारत में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के लिए जिम्मेदार है. बता दें कि भारत में लगातार चार दिनों में 4 लाख से ज्यादा मरीज सामने आए थे. वही अब दो दिनों से नए कोरोना मामलों की रफ्तार में कमी आई है और ये आकड़ा 4 लाख से नीचे पहुंच गया . इसके अलावा ठीक होने वाले रोगियों में वृद्धि हुई.
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डॉक्टर मारिया का कहना है कि इस वेरिएंट का निदान भी संभव है. हालांकि उन्होंने इस वेरिएंट के बारे में अधिक से अधिक जानकारी जुटाने की अपील की है. विशेष रूप से, उन्होंने वैज्ञानिकों से इस वेरिएंट की आनुवंशिक जानकारी एकत्र करने की अपील की जो इसकी प्रकृति और इसके निदान को समझने में मदद करेगा. इसके साथ ही उन्होंने अधिक सीक्वेंसिंग पर भी जोर दिया है. साथ ही, उन्होंने कहा है कि इस जानकारी को पूरी दुनिया में साझा किया जाना चाहिए। इससे पता चल सकेगा कि ये वेरिएंट किस स्तर पर फैल रहा हैं.