मुक्केबाजी में मैरी कॉम का कोई सानी नहीं है.
छह बार की विश्व चैंपियन एमसी मेरी कॉम (MC Merry Kom)को कौन नहीं जानता है भला? मुक्केबाजी में उनका कोई सानी नहीं है. भारत की इस बेटी ने भारत को कई यादगार पल दिए. मुक्केबाजी की दुनिया में अपना बर्चस्व कायम रखा है. कल यानि रविवार को कजाकिस्तान की नाजिम कयजैबे के खिलाफ एक कड़े फाइनल में हार गईं. फिर भी एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल अपने नाम किया. मेरी कॉम के 2-3 के फासले से हार का सामना करना पड़ा.
{{read_more}}
मैरी कॉम का इस टूर्नामेंट में सातवां पदक था, पहला स्वर्ण जो 2003 में जीता था. उस वक्त उन्होंने पूरी दुनिया को चकित कर दिया था. मैरी कॉम अभी 38 साल की हैं. उनका मुकाबला उनसे 11 साल छोटे प्रतिद्वंदी खिलाड़ी से था. भारतीय मुक्केबाज ने प्रभावशाली शुरुआत की और अपने तीखे जवाबी हमलों पर भरोसा करते हुए आराम से शुरुआती दौर में प्रवेश किया. दूसरे दौर में दोनों मुक्केबाजों ने आक्रामक तेवर दिखाए. कजाख मुक्केबाज ने यहां बेहतर प्रदर्शन करते हुए पॉइंट्स अपनी झोली में डाले.
{{img_contest_box}}
हांलाकि, मेरी कॉम ने अंतिम तीन मिनट में वापसी की, लेकिन वह गोल्ड जीतने के लिए काफी नहीं थी. मणिपुरी किंवदंती ने अपने अभियान के लिए $5,000 की पुरस्कार राशि भी जीती, जबकि कयजैबे को $10,000 मिले.
{{read_more_top}}
मैरी कॉम की इस हार में भी भारतीय अपनी जीत देख रहे हैं. सोशल मीडिया पर सभी मैरी कॉम को बधाई दे रहे हैं. एक यूज़र ने कहा कि आपने हिन्दुस्तान को गर्व करने के लिए कई मौके दिए हैं. हम आपके प्रदर्षण से बेहद खुश हैं.