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आपको बता दें कि, देश स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. लेकिन भारत का स्वतंत्रता संग्राम शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह के बारे में बताए जाने के बिना अधूरा है.
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आजादी के दीवाने सरदार भगत सिंह
भारत का स्वतंत्रता संग्राम शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह आजादी के दीवाने इस युवा ने महज 23 वर्ष का आयु में अपने साथी सुखदेव और राजगुरू के साथ फांसी के फंदे को चूम लिया था. अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले इस महान क्रांतिकारी के मन में जालियांवाला बाग हत्याकांड का सबसे अधिक प्रभाव पड़ा. वहीं उस समय उनकी उम्र केवल 12 साल की थी, तब वह जालियांवाला बाग से वहां कि मिट्टी लेकर आए थे.
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भगत सिंह का मानना था की शरीर को मारा जा सकता है
सूत्रों के अनुसार इस संबंध में इतिहासकार अमोलक सिंह ने कहा की भगत सिंह का मानना था की शरीर को मारा जा सकता है लेकिन विचारों को नहीं. विचार अमर हो जाते हैं. इसलिए, उन्होंने जनता के लिए साम्राज्यवाद के खिलाफ क्रांति की बात कही. उन्होंने साम्राज्यवाद को परिभाषित करते हुए कहा कि जब तक विदेशी ताकतें लोगों को लूट रही हैं, तब तक जीवन आरामदायक नहीं हो सकता. भगत सिंह ने क्रांति के बारे में बहुत कुछ लिखा था .
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