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चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को गणगौर व्रत किया जाता है। इसका सीधा संबंध महादेव और माता पर्वती से जुड़ा होता है। सुहागन महिलाएं अपने जीवन की सुख-शांति के लिए इस व्रत को रखती हैं। साथ ही विधिपूर्वक पूजा अर्चना भी करती है। इतना ही नहीं मनचाहे वर की कामना करते हुए कुवारी कन्याएं भी इस व्रत को करती हैं। राजस्थान में इस उत्साह को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कब से शुरू होने जा रहे हैं गणगौर व्रत? क्या है इसका महत्व?
चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि की शुरुआत 31 मार्च को सुबह 9:11 मिनट पर होने वाली है। इसका समापन 01 अप्रैल सुबह 5:42 मिनट पर होने वाला है। ऐसे में 31 मार्च को गणगौर व्रत मनाया जाने वाला है। यहां देखिए गणगौर मनाने का शुभ मुहूर्त।
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 40 मिनट से 05 बजकर 26 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 19 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 37 मिनट से 07 बजे तक
निशिता मुहूर्त -देर रात 12 बजकर 02 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 12 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 38 मिनट पर
चन्द्रोदय- सुबह 07 बजकर 12 मिनट पर
चन्द्रास्त- रात 09 बजकर 01 मिनट पर
जानिए कैसे करें गणगौर व्रत की पूजा
- सबसे पहले आप जल्दी उठकर स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- इसके बाद चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति को विराजमान करिए।
- उन पर चंदन, रोली और अक्षत अर्पित करें।
- बाद में फूलमाला उन पर चढ़ाएं।
- माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की चीजें भी चढ़ाएं।
- देसी घी का दीपकर जलाकर आरती करें और मंत्रों का जाप करें.
- आखिरी में भोग लगाकर प्रसाद का वितरण करें।
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