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रूस एवं यूक्रेन के मध्य जारी युद्ध स्थिति में भारतीय सरकार की सबसे ज्यादा चिंता वाली स्थिति यह है कि यूक्रेन से भारतीय नागरिकों को निकाला कैसे जाये. भारतीय सरकार ने अपने नागरिकों को यूक्रेन से एयरलिफ्ट करने के लिए एक मिशन बनाया है जिसे 'ऑपरेशन गंगा' नाम से जाना जा रहा है. विदेश मामलों के सचिव हर्ष श्रृंगला के मुताबिक, इस सुरक्षा अभियान में जो भी खर्चा आएगा, वह भारतीय सरकार करेगी.
यूक्रेन के एयरोस्पेस बंद हैं इसलिए भारत को यूक्रेन के पड़ोसी देशों पोलैंड, रोमानिया, हंगरी और स्लोवाकिया से अपनी फ्लाइट्स उड़ानी पड़ रही हैं. यूक्रेन की सीमा से लगे इन मुल्लों की सीमा पर सुरक्षा कैम्प भी लगाए गए हैं. इन सबके अलावा विदेश मंत्रालय ने 24x7 उपलब्ध रहने वाली एक हेल्पलाइन की भी घोषणा की है. इन हालातों में एक बड़ा सवाल यह है कि सरकार ने अपने इस अभियान का नाम 'ऑपरेशन गंगा' क्यों रखा है?
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भारतीय सरकार ने इस अभियान के लिये यही नाम क्यों चुना? इसके पीछे एक संकेत भारतीय रेल मंत्री पीयूष गोयल द्वारा बीते दिनों किये गये एक ट्वीट से भी मिलता है. पिछले दिनों यूक्रेन से भारतीय छात्रों के साथ पहली फ्लाइट जब दिल्ली उतरी तो वहाँ अागवानी के लिए पीयूष गोयल स्वयं मौजूद थे.
उन्होंने यूक्रेन से लौटे छात्रों की तस्वीरें ट्वीट करते हुए कैप्शन दिया, 'मां अपने बच्चों को किसी भी तरह के संकट में कभी भी अकेला नहीं छोड़ती.' दरअसल गंगा नदी को भारत में माँ की तरह दर्जा दिया गया है. 'ऑपरेशन गंगा' नाम के साथ सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि भारतीय नागरिक कहीं भी फंस जायें, उनकी मातृभूमि उन्हें कभी अकेले नहीं छोड़ेगी.
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