अदालत ने विधायक जिग्नेश मेवाणी और 12 अन्य लोगों को बिना अनुमति के आजादी मार्च करने के मामले में आईपीसी की धारा 143 के तहत तीन महीने की कैद और जुर्माने की सजा सुनाई है.
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गुजरात की मेहसाणा कोर्ट ने 2017 की स्वतंत्रता मार्च रैली को लेकर अपना फैसला सुनाया है. साल 2017 में बिना इजाजत रैली करने के मामले में विधायक जिग्नेश मेवाणी और 12 अन्य लोगों को आईपीसी की धारा 143 के तहत तीन महीने की कैद और जुर्माने की सजा सुनाई है.
क्या था मामला
आपको बता दें कि, मेवाणी और उनके सहयोगियों ने 2017 में मेहसाणा से पड़ोसी बनासकांठा जिले के धनेरा तक आजादी मार्च का नेतृत्व किया था. वहीं 2017 में मेहसाणा पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 143 के तहत मेवाणी और अन्य के खिलाफ अवैध रूप से मार्च में एकत्रित होने के लिए मामला दर्ज किया था. सूत्रों के अनुसार, 4 मई को असम में 9 दिनों की जेल की सजा काटने के बाद मेवाणी ने 1 जून को गुजरात बंद की धमकी भी दी थी.
1000 का लगा जुर्माना
मिली जानकारी के अनुसार, विधायक जिग्नेश मेवानी के साथ-साथ एनसीपी नेता रेशमा पटेल और सुबोध परमार को भी कोर्ट की तरफ से तीन महीने की जेल की सजा सुनाई गई है. कोर्ट की तरफ से इस मामले पर करीब 5 साल बाद फैसला आया है. दोषियों ने 2017 में बिना इजाजत के आजादी कूच रैली आयोजित की थी. आपको बता दें कि, इस समय जिग्नेश मेवानी जमानत पर बाहर चल रहे है. उन्हें असम पुलिस द्वारा पीएम मोदी के खिलाफ ट्वीट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. इतना ही नही जिग्नेश मेवानी के साथ सभी आरोपियों पर कोर्ट ने एक-एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
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