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अब तक लाखों लोग कोरोना संक्रमण से अपनी जान गंवा चुके हैं. आम से लेकर खास लोग इस बीमारी की चपेट में हैं. बताया जा रहा है कि पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा की मौत कोरोना संक्रमण से हुई है. इस बात की जानकारी ऋषिकेश एम्स ने दी है. उनका एम्स में इलाज चल रहा था. उन्होंने चिपको आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
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बता दें कि वह 94 साल के थे. उन्हें कोरोना संक्रमण के बाद ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया गया था.अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार आज दोपहर 12 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. बताया जा रहा है कि संक्रमण की वजह से उनका ऑक्सीजन काफी कम हो गया था जिससे उनकी मौत हो गई. उन्हें 8 मई को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 12 मई को उनके फेफड़ों में संक्रमण पहुंचा.
उन्हें लगातार ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था. उसके इलाज में डॉक्टरों की टीम लगी हुई थी. कार्डियोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने मंगलवार को उनके हृदय से जुड़े सभी टेस्ट किए. दाहिने पैर में सूजन की शिकायत पर उनकी डीवीटी स्क्रीनिंग भी की गई. गुरुवार को उनका ऑक्सीजन सेचुरेशन 86 पर पहुंच गया. उनका ऑक्सीजन लेवल लगातार कम होता जा रहा था. सुंदरलाल बहुगुणा का जन्म टिहरी, उत्तराखंड में हुआ था. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 13 साल की उम्र में की थी. 1956 में शादी के बाद उन्होंने राजनीतिक जीवन से संन्यास ले लिया.
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चिपको आंदोलन में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
उन्होंने टिहरी के आसपास इलाके में शराब के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. 1960 के दशक में उन्होंने अपना ध्यान जंगलों और पेड़ों की सुरक्षा पर केंद्रित किया. उन्होंने चिपको आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने 1970 में जंगलों और पेड़ों की सुरक्षा के लिए एक आंदोलन शुरू किया, जो जल्द ही पूरे भारत में फैल गया. चिपको आंदोलन उसी का एक हिस्सा था.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने दुख किया व्यक्त
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर दुख व्यक्त किया है.
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