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कोरोना वायरस ने दुनिया भर में आतंक फैला रखा है हर चीज़ पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है। चाहें जॉब हो या बिज़नेस यहां तक पढ़ाई और परीक्षाओं पर भी असर होने लगा है। हालांकी देश में अब एक्टिव केस में गिरावट देखी जा रही है। भारत में अमेरिका के मुक़ाबले कम आंकडे आ रहे हैं। लेकिन फिर भी लोगों के अंदर डर है। जो कई हद तक जायज़ भी है। जब बात पढ़ाई की होती है तो लड़कियों को हमेशा आगे देखा जाता है। लेकिन इस कोरोना महामारी ने इस पर भी असर डाल दिया।
आप सोच रहे होंगे की हम ऐसा क्यों कह रहे हैं? तो आपको बता दें ये कहना है आंकडों का जिसमें ये देखा गया है कि हर साल के मुक़ाबले नीट की परीक्षा में बैठने वाली लड़कियों का औसत कम था। मतलब इस बार परीक्षा मेन बैठने वाली लड़कियों में कमी देखी गयी है जिसका सबसे बड़ा कारण देश में आई कोरोना महामारी को ही माना जा रहा है।
2017 के आंकडों पर नज़र डालें तो नीट की परीक्षा में लड़कों के मुक़ाबले लड़कियों कि तादाद ज़्यादा थी। उस साल लड़कियों की संख्या 7,48,866 थी और लड़कों की संख्या 6,18,075 थी। लेकिन इस साल ऐसा पहली बार देखा गया है कि इस बार लड़कों के मुक़ाबलें कम लड़कियां परीक्षा में बैठी।
इस साल अगर हम अटेंडेंस पर गौर करें तो उसने भी गिरावट दर्ज हुई है। आंकडों के मुताबिक़ उपस्थिति दर 92.85% से गिरकर 85.57% इतनी रह गयी है। जिसमें लड़कियों में ज़्यादा कमी देखी गयी है। मिली जानकारी के मुताबिक़ कुल पंजीकृत लड़कों में से 86.25% ही परीक्षा में बैठे थे। जिसमे पिछले साल की तुलना में 6.38% की कमी देखी गयी। वहीं दूसरी तरफ़ कुल पंजीकृत लड़कियों में से 85.02% ही परीक्षा में बैठीं। जो कि साल 2019 के मुक़ाबले 8.01% गिरा है।
अब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद देश में लगभग 1 लाख एमबीबीएस और बीडीएस सीटों के लिए एंट्रेंस इग्ज़ाम करवाने का फ़ैसला लिया है। जिससे मिली जानकारी से ये पता चलता है कि 2017, 2018, 2019 में लड़कों के तुलना में लड़कियों की उपस्थिति ज़्यादा रही थी।
परीक्षाओं में बैठने वाले बच्चों में आ रही कमी का एक बड़ा कारण बोर्ड परीक्षा के रिज़ल्ट को भी माना जा रहा है। सबसे ज़्यादा गिरावट मेघालय, गोवा, गुजरात, असम, केरल, पश्चिमबंगाल, कर्नाटक, मिज़ोरम सिक्किम, महाराष्ट्र इन राज्यों में देखी गयी है।
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