बेटियां नर्म स्वभाव की जरूर होती हैं, लेकिन बेटियां किसी से कमजोर नहीं होती हैं. संसार की शक्ति का दूसरा रूप है पुत्री यानि स्त्री, वह जगत की जननी अर्थात जीवनदायिनी है.
बेटियां नर्म स्वभाव की जरूर होती हैं, लेकिन बेटियां किसी से कमजोर नहीं होती हैं. संसार की शक्ति का दूसरा रूप है पुत्री यानि स्त्री, वह जगत की जननी अर्थात जीवनदायिनी है. आज के समय में बेटियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ती नजर आ रही हैं. भारत की बेटियां भी किसी से कम नहीं हैं. अंतरिक्ष से लेकर तकनीक तक भारत की बेटियों का दबदबा हर क्षेत्र में है, लेकिन आज भी भारत में कई जगहों पर लड़कियों की स्थिति बेहद दयनीय है. आज भी हमारे देश में कई जगहों पर भ्रूण हत्या होती है. आज भी समाज में बहुत से लोग लड़कियों और महिलाओं की उन्नति में बाधक बने हुए हैं.
महिलाओं और लड़कियों के बारे में उनकी सोच अभी भी संकीर्ण है. ऐसे में बालिकाओं के प्रति समाज के लोगों की सोच को बदलने के लिए हर साल राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय बालिका दिवस का आयोजन किया जाता है, जिसकी शुरुआत वर्ष 2008 में हुई थी. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को नारी के रूप में याद किया जाता है. शक्ति 24 जनवरी. इस दिन इंदिरा गांधी ने पहली बार प्रधानमंत्री का पद संभाला था, इसलिए इस दिन को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन बालिकाओं को प्रोत्साहित करने और उनके अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कई महत्वपूर्ण योजनाएं भी लागू की जाती हैं.
शिक्षित एवं आत्मनिर्भर बेटियाँ ही सशक्त भारत एवं सृष्टि के विकास का आधार हैं।
— Sadhana Singh (@mlasadhanasingh) January 24, 2022
"राष्ट्रीय बालिका दिवस" के अवसर पर देश की समस्त बालिकाओं को सुखद एवं समृद्ध जीवन की मंगलकामनाओं के साथ हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। #NationalGirlChildDay2022 #राष्ट्रीय_बालिका_दिवस pic.twitter.com/TZGBUhce1C