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2021 की शुरुआत हो गई है लोगों के मन में बस यही आशा है कि ये साल 2020 की तरह खराब या फिर बर्बाद करने वाला न हो। इस साल लोगों को सबसे बड़ी उम्मीद है कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर। लोगों के मन में ये सवाल हर बार आता है कि भगवान ये वैक्सीन का डोज कब हमें लगेगा और हम पुरानी जिंदगी वापस से जी पाएंगे। लेकिन कहते हैं न कि हर काम को अच्छे से करने के लिए एक अच्छी योजना, समझ और मेहनत की जरूरत होती है। भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व भर के वैज्ञानिक कोरोना का तोड़ निकालने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं। वैक्सीन भी कई तरह की इस वक्त सामने आ गई है। लेकिन जैसे कि हमें पहले ही कहा कि अच्छी योजना और समझ की भी जरूरत किसी भी काम को करने के लिए होती है। तो ऐसे में सवाल ये उठाता है कि क्या भारत वैक्सीन को बनाने को लेकर आने वाली समस्याओं को पार करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
आप सब ये सोच रहे होंगे कि नए साल के पहले ही दिन हम कैसी बातें आप सभी के सामने रखते हुए नजर आ रहे हैं? लेकिन सच्चाई से दूर कौन भगता है साहब। यहां हम ये सब बातें इसीलिए कह रहे हैं क्योंकि विश्व भर में जो वैक्सीन बनाई जा रही है उसको लेकर कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आइए एक-एक करके बातते हैं सभी देशों के हाल और भारत किस तरह से इस परीक्षा में खड़ा उतरेगा उस पर भी यहां चर्चा करने वाले हैं। इन सबसे पहले आइए जानते हैं कि बाकी देश इस मामले में कहां तक पहुंच पाए हैं।
अमेरिका ने वैक्सीन को लेकर अच्छा काम किया। लेकिन उसने 2020 के अंत तक 20 मिलियन लोगों को टीका लगाने की बजाए केवल 10% पहचान वाले अमेरिकियों को टीका लगाया गया था। रोलआउट के वक्त समय-समय पर क्वालिटी की जांच में कमी देखी गई, टीकाकरण रिपोर्टिंग उपकरणों के प्रबंधन और वितरण प्रवाह की योजना बनाने के द्वारा शौक दिया गया है।
जर्मनी में तापमान में बढ़त के बाद कई साइटों पर देरी से ये सूचना मिली थी कि कुछ वैक्सीन बॉक्सों में आवश्यक तापमान, संभावित हानिकारक स्टॉक को बनाए नहीं रखा गया था। कनाडा जिसने दो टीकों को मंजूरी दी उसकी आपूर्ति धीमी चाल में आ गई। यूनाइटेड किंगडम में जहां फाइजर ने चार मिलियन खुराक का अनुमान लगाया था, केवल 800,000 को ये दिया गया है।
भारत को रहना होगा इन चीजों के लिए अर्ल्ट
अधिकारियों को अन्य देशों के अनुभवों को देखना चाहिए और उन प्रोटोकॉल को ठीक करने या ओवरहाल करने के लिए गुंजाइश रखनी चाहिए, जिसमें भारत उन लोगों के समूहों को चुनता और प्राथमिकता देता है जो पहले एक खुराक के लिए कतार में खड़े हुए हैं।
डिलीवरी के शुरुआती दौर की तरह, सरकार को अब अपने पहले खरीद के सौदों की घोषणा करके आपूर्ति सुनिश्चित करने के प्रयास तेज करने चाहिए। लगातार चल रही प्रक्रियाओं के जल्द ही महत्वपूर्ण सफलताओं तक पहुंचने की उम्मीद है, जिससे सरकार को खरीद के लिए आत्मविश्वास लोगों को देना चाहिए।
वैसे कोरोना वायरस के दौरान आप अपनों को और खुद को कैसे रख सकते हैं सुरक्षित जानिए यहां-
1- हल्के से भी सामने आए लक्षण तो खुद को घर में रखकर करें सुरक्षित
2- अपने हाथ कम से कम 40 सेकेंड तक पानी और साबून से धोएं।
3- अपने मुंह और नाक को मास्क से ढके। छीक आने पर मुंह को कवर करें।
4- मुंह और नाक पर न लगाएं बिल्कुल भी हाथ
5- कम से कम 1 मीटर तक की दूरी बनाएं रखे
6- भीड़भाड़ वाली जगह से बनाए दूरी।
7- फैब्रिक मास्क का करें इस्तेमाल यदि 1 मीटर की नहीं है आपके बीच दूरी
8- यदि आप अधिक हाई रिस्क वाली स्थिति में है तो मेडिकल और सर्जरी मास्क का इस्तेमाल कर सकते हैं।
9- जिस-जिस जगह को अपने या किसी ने टच किया है उसकी सफाई जरूर करें।
जानिए किस वायरल का किया जाता है टीका विकासित करने के लिए इस्तेमाल?
Immunogens वायरल टीकों को विकसित करने के लिए उपयोग किया जाता है। लेकिन इसके बावजूद विभिन्न तकनीकों के साथ टीके विकसित किए जा रहे हैं।
टीके के विकास में उठाए गए कदम
एक नया टीका काम करने में सुरक्षित और अच्छा है ये जांचने के लिए उठाए गए कदम कुछ इस तरह से हैं-
1. प्रीक्लिनिकल स्टडीज
2. फेज 1 क्लीनिकल ट्रायल
3. फेज 2 क्लीनिकल ट्रायल
4. फेज 3 क्लीनिकल ट्रायल
5. फेज 4 पोस्ट मार्केटिंग को लेकर निगरानी
6. मानव चुनौती का अध्ययन
कोविड वैक्सीन के लिए इंडिया का क्षेत्रफल
1. वैक्सीन- कोविडशिल्ड
टाइप-चिंपांजी एडीनोवायरस
मैन्युफैक्चरर-सीरम इंस्टीट्यूट पुणे
कोलैबोरेट- Astra Zeneca
स्टेज- फेज 2 और 3
2. वैक्सीन- Covaxin
टाइप- इनएक्टिव वायरस
मैन्युफैक्चरर- भारत बायोटेक
कोलैबोरेट- आईसीएमआर
स्टेज- फेज 3
3- वैक्सीन- ZyCoV-D
टाइप- डीएनए वैक्सीन
मैन्युफैक्चरर- Cadila heatlhcare, Ahmedabad
कोलैबोरेट- डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी
स्टेज- फेज 2
4- वैक्सीन- Sputnik V
टाइप- Human Adenovirus vaccine
मैन्युफैक्चरर-डॉक्टर रेड्डी लैब, हैदराबाद
कोलैबोरेट- Gamaleya national Centre, Russia
स्टेज- फेज 2 खत्म, फेज 3 अगले हफ्ते से होगा शुरु
5- वैक्सीन- NVX- CoV2373
टाइप- Protein Sub Unit
मैन्युफैक्चरर- सीरम इंस्टीट्यूट, पुणे
कोलैबोरेट- Novavax
स्टेज- फेज 3 अभी चालू है
6. वैक्सीन- Recombinant Protein Antigen based Vaccine
मैन्युफैक्चरर- बायोलॉजिकल ई लिमिटेड हैदराबाद
कोलैबोरेट- एमआईटी, यूएसए
स्टेज- फेज 1 के साथ-साथ ह्यूमन ट्रायल शुरू
7. वैक्सीन- HGCO 19
टाइप- MRNA based Vaccine
मैन्युफैक्चरर- Genova, Pune
कोलैबोरेट- HDT, USA
स्टेज- क्लीनिकल ट्रायल
8. वैक्सीन- Inactivated Rabies Vector Platform
मैन्युफैक्चरर- भारत बायोटेक, हैदराबाद
कोलैबोरेट- Thomas Jeffersib Univ, USA
स्टेज- प्री- क्लीनिकल
भारत में वैक्सीन बन रही है ये संस्था
- सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII)
- भारत बायोटेक
- बायोलॉजिकल ई लिमिटेड
- कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड
- हेटेरो बायोफार्मा
- डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज लिमिटेड
सीडीसी फेज 1 वैक्सीन रोलआउट योजना:
- फेज 1 ए
. 21 मिलियन हेल्थ केयर कार्मिक
. 3 बिलियन नर्सिंग होम के निवासी
- फेज 1 बी
. 87 लाख जरूरी कार्यकर्ता
. 100 मिलियन उच्च जोखिम चिकित्सा की स्थिति
. 53 मिलियन अडल्ट और 65 वर्ष से अधिक
कोरोना वायरस के कितने डोज विश्वभर की सरकार ने सुरक्षित रखे हुए हैं-
1. भारत ने 1.6 बिलियन
2. यूरोप ने 1.43 बिलियन
3. यूएस ने 1.01 बिलियन
4. कनाडा ने 358 मिलियन
5. यूके ने 355 मिलियन
सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन से जुड़ी ये है अहम बात
- वहीं, सीरम इंस्टीट्यूट की जो वैक्सीन की बोतल बन रही है उसमें 10 डोज दी जा सकती है। जोकि की पांच लोगों को आसानी से लग सकती है।
- सीरम इंस्टीट्यूट का ये कहना है कि उनकी वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री के तापमान में रखा जा सकता है।
- इस इंस्टीट्यूट का ये कहना है कि लोगों को इस बात को ध्यान में रखना होगा कि दो डोज लेनी है। एक डोज से ही सुरक्षा नहीं मिल पाएगी, जितनी पूरे डोज से मिलने वाली है।
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