कोविशील्ड और कोवैक्सीन ही बनेंगे कोरोना वायरस के अनेकों रूप के लिए ब्रह्मास्त्र

कोरोना वायरस के नए रूपों को लेकर एक बड़ी बात सामने आई है, जिसे सुनने के बाद आप हैरान रह जाएंगे.

  • 1746
  • 0

कोरोना वायरस अपने कई रूप बदलता हुआ दिखाई दे रहा है.  ऐसा माना जा रहा है कि भारत में इसके डबल नहीं बल्कि ट्रिपल म्यूटेंट स्ट्रेन भी पाए गए हैं. अब वैज्ञानिकों का आत्मविश्वास बढ़ने वाला है कि भारत में दोनों वैक्सीन कोरोना के खिलाफ कारगर है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स के डायरेक्टर सौमित्र दास की माने तो देश के कई हिस्से में मरीजों से मिले वायरस के अध्ययन से इस बात की जानकारी सामने आई है, लेकिन राहत की खबर ये है कि देश में उपलब्ध दोनों वैक्सीन उन पर असर कर रही है. 

कोरोना वायरस की जीनोम सीक्वेंसिंग पर आयोजित वेबिनार में दास ने कहा कि डबल और ट्रिपल म्यूटेंट आम बोलचाल की भाषा के शब्द है, लेकिन सही मायने में ये कोरोना वायरस के बी.1.617 वैरिएंट ही हैं. वैसे देखा जाए तो कुछ मामले में ये समान है. इनमें एक-दूसरे से मिलते हुए लक्षण मौजूद हैं. कल्याणी में स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स बायो टेक्नोलॉजी विभाग के अंतगर्त आता है. यह विभाग देश में चल रही 10 प्रयोगशालाओं में से एक है. ये सभी कोरोना वायरस की जीनोम सीक्वेंसिंग के काम में लगी. 2020 में भारत दुनिया के शुरुआती देशों में था जिन्होंने कोरोना वायरस की जीनोम सीक्वेंसिंग का पता लगाया था. इससे मरीजों के इलाज और वैक्सीन तैयार करने में काफी मदद मिली थी.

ये भी पढ़ें: कोरोना से लड़ने में लोगों को मिलेगी राहत, जायडस की Virafin को DCGI की मिली मंजूरी

इस पूरे मामले को लेकर कई विशेषज्ञों का ये मानना है कि कोरोना के इस नए वेरिएंट के चलते ही देश में संक्रमण काफी तेजी से बढ़ रहा है और यह शरीर की रोगों से बचाव की क्षमता को भेदने में सफल है. लेकिन दास का ऐसा मानना नहीं है. उनके मुताबिक देश में जो कोरोना वेरिएंट संक्रमण फैल रहे हैं, वे वैक्सीन से पैदा हो रही सुरक्षात्मक क्षमता को खत्म नहीं कर पा रहे हैं. देश में जो दोनों वैक्सीन इस्तेमाल हो रही है, वे नए कोरोना वैरिएंट का असर कम करने में सक्षम हैं. इसलिए कोरोना वायरस के नए वैरिएंट को लेकर भ्रम खत्म होना चाहिए.

ये भी पढ़ें: कोरोना के कहर के बीच कंटेनर्स पहुंचाने में जुटी एयरफोर्स, रवाना हुई ऑक्सीजन एक्सप्रेस

सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलीक्युलर बायोलॉजी के अध्ययन में भी पाया गया है कि वायरस के डबल म्यूटेंट वैरिएंट पर सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड वैक्सीन कारगर है. सीसीएमबी के डायरेक्टर राकेश के मिश्रा ने कहा कि नतीजे शुरुआती हैं, लेकिन उत्साह बढ़ाने वाले हैं. एक अन्य अध्ययन में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को भी डबल म्यूटेंट वैरिएंट पर कारगर पाया जा चुका है.  यही वजह कि लोगों से अपील की जा रही है कि वैक्सीन लगावाएं. अब तो सरकार ने 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए वैक्सीनेशन चालू कर दिया है. 1 मई से ये टीके लगाने लगेंगे. इसीलिए सभी टीका लगवाएं. किसी तरह के भ्रम में न पड़े.

RELATED ARTICLE

LEAVE A REPLY

POST COMMENT