Power Crisis: कोयला रिजर्व, एक बार फिर बिजली संकट की आशंका

1970 के बाद कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया और कोयले के खनन का ज्यादातर काम सरकारी कंपनियों के पास चला गया.

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बिजली संकट दिन पे दिन बढ़ता जा रहा है. वहीं भारत में 1774 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने कोयले का खनन करना शुरू किया था. इसके बाद से लगातार कोयले की मांग बढ़ती गई और उत्पादन बढ़ता चला गया. 


कोयले का सबसे बड़ा भंडारण
आपको बता दें कि, आज कोयला बहुत बड़ी जरूरत बन गया है. भारत के थर्मल पावर प्लांट में 75 फीसदी से ज्यादा बिजली कोयले से ही बनती है. भारत में जब ट्रेनें चलनी शुरू हुई तो ये भी कोयले से ही चला करती थी. वहीं भारत दुनिया का 6वां सबसे बड़ा कोयला भंडार है. मिली जानकारी के अनुसार, भारत में 319 अरब टन कोयले का भंडार है. कोयले का सबसे बड़ा भंडार अमेरिका, रूस, ऑस्ट्रेलिया और चीन के बाद भारत के पास है. 

सबसे ज्यादा कोयले की खपत करने के मामले में चीन के बाद भारत दूसरे नंबर पर है. भारत में 319 अरब टन कोयले का भंडार है. लेकिन इसके बावजूद कोयले का संकट गहरा गया है. सूत्रों के अनुसार, कोयले संकट से बिजली कटौती की आशंका भी बढ़ गई है. भारत में हर दिन 4 लाख मेगावाट यानी 400 गीगावॉट से ज्यादा बिजली पैदा करने की क्षमता है. इसमें से आधी से ज्यादा बिजली कोयले से ही पैदा होती है. इसमें से भी ज्यादातर बिजली घरेलू कोयले से बनती है.

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