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उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित मुरादनगर में श्मशान घाट की छत गिरने सेअब तक दो दर्जन से अधिक लोग अपनी जान गवा चुके है जबकि 40 से अधिक लोग घायल है जिनका इलाज जारी है। ऐसे में गाजियाबाद के मुरादनगर में रविवार को हुए श्मशान घाट हादसे को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त कार्रवाई करने का फैसला किया है। यही नहीं सीएम योगी ने मुरादनगर श्मशान घाट हादसे को लेकर उनकी जांच रिपोर्ट मांगने के साथ-साथ इस घटना में मरने वाले लोगों के परिजनों को देने वाली मुआवजा राशि को बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दी है। वहीं सीएम योगी ने इस हादसे के लिए इंजीनियर और ठेकेदार के खिलाफ एनएसए लगाने का आदेश दिया है। इसके साथ ही सीएम ने इस पूरे नुकसान की वसूली इंजीनियर और ठेकेदार से करने के निर्देश दिए है।
जानिए क्या है एनएसए यानि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून?
वहीं हममें से कई लोगों कोे एनएसए यानि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के बारें में पता नहीं होता है कि यह कानून कहां और कब लगाया जाता है। ऐसे में हम आपको बताते है कि इस एक्ट का मतलब क्या है। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून या फिर रासुका एनएसए के तहत सरकार को ऐसे व्यक्ति को महीनों तक हिरासत में रखने की अनुमति देता है जिससे प्रशासन को किसी कानून व्यवस्था के लिए खतरा महसूस हो। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 देश की सुरक्षा के लिए सरकार को और अधिक शक्ति देने वाला कानून है। ये कानून सरकार को किसी भी संदिग्ध व्यक्ति की गिरफ्तारी करने की अनुमति देता है। यदि सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति देश की सुरक्षा के कार्यों को करने से रोक रहा है तो वह उस व्यक्ति को बिना किसी से अनुमति लिए उसको गिरफ्तार कर सकते है। वही इस कानून का उपयोग जिला अधिकारी, पुलिस आयुक्त, स्टेट गवर्नमेंट द्वारा अपने सीमित दायरे में भी किया जा सकता है।
एनएसए को कब किया गया लागू
यह एक्ट पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी सरकार द्वारा पारित किया गया था जो 23 सितंबर को वर्ष 1980 में फिर से सत्ता में आया था। इसके बाद, 27 दिसंबर 1980 को तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी की मंजूरी के बाद इसे राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 के रूप में जाना जाने लगा। रासुका या एनएसए के तहत किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी आरोप के एक साल तक जेल में रखा जा सकता है। इसके साथ-साथ हिरासत में लिया गया व्यक्ति सिर्फ हाई कोर्ड के एडवाइजरी बोर्ड से अपील कर सकता है लेकिन मुकदमे के दौरान गिरफ्तार हुए व्यक्ति को किसी भी वकील से मिलने की अनुमति नहीं होती है।
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