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चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। भेद ही धूमधाम के साथ नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना होती है। जोकि अपनों को सुख-संपत्ति और शक्ति प्रदान करती है। साथ ही लोगों के जीवन में खुशियां और सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ती है। मां चंद्रघंटा की पूजा से न केवल भौतिक बल्कि सामाजिक सुख भी प्राप्त होता है। ऐसे में आइए जानते हैं चंद्रघंटा के स्वरूप के बारे में यहां।
माता चंद्रघंटा की पूजा करने के लिए सुबह स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। फिर मां चंद्रघंटा का ध्यान और स्मरण करें। माता चंद्रघंटा की मूर्ति को लाल या पीले कपड़े पर रखें। मां को कुमकुम और अक्षत का लगाएं। विधिपूर्वक मां की पूजा करें. मां चंद्रघंटा को पीला रंग अर्पित करें। मां चंद्रघंटा देवी को मिठाई और दूध से बनी खीर बहुत पसंद है। देवी चंद्रघंटा की पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें। दुर्गा सप्तशती और चंद्रघंटा माता की आरती का पाठ करें।
मां चंद्रघंटा का मंत्र
- पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता. प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
- या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।
मां चंद्रघंटा की पूजा का खास महत्व
मां चंद्रघंटा की पूजा करने से साधक को अलौकिक तेज, वीरता और साहस की प्राप्ति होती है। साथ ही भक्तों को शत्रु भय, मानसिक अशांति और सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है। देवी चंद्रघंटा की कृपा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शांति आती है। मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के जीवन में सुख-समृद्धि और उन्नति का संचार होता है।
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